What Is PE Ratio in Stock Market in Hindi? समझें पूरी तरह।

What Is PE Ratio in Stock Market in Hindi? शेयर बाज़ार में PE Ratio क्या है? समझें हिंदी में (सरल भाषा में पूरी जानकारी)


What Is PE Ratio in Stock Market in Hindi - सरल गाइड


परिचय: 

PE Ratio क्यों ज़रूरी है?

क्या आपने कभी सोचा है कि शेयर बाज़ार में निवेश करते समय अनुभवी निवेशक किसी कंपनी के शेयर को "सस्ता" या "महंगा" कैसे बताते हैं? इसका जवाब है PE Ratio (Price-to-Earnings Ratio)। यह एक ऐसा टूल है जो किसी कंपनी के शेयर की कीमत और उसके मुनाफे के बीच का रिश्ता बताता है। अगर आप स्टॉक मार्केट में नए हैं या समझना चाहते हैं कि PE Ratio कैसे काम करता है, तो यह ब्लॉग आपके लिए है!

इस आर्टिकल में हम PE Ratio को चाय की दुकान वाले अंकल की भाषा में समझेंगे। साथ ही, जानेंगे कि यह निवेश के फैसलों में क्यों महत्वपूर्ण है और इसकी सीमाएँ क्या हैं।

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इस पोस्ट में आप जानेंगे।

PE Ratio क्यों ज़रूरी है?
PE Ratio क्या है?
PE Ratio की गणना कैसे करें?
PE Ratio के प्रकार: Trailing PE vs Forward PE
PE Ratio क्यों मायने रखता है? (5 प्रमुख कारण)
PE Ratio को कैसे इस्तेमाल करें? (4 Practical Tips)
PE Ratio की सीमाएँ
FAQs
1.शेयर का पीई रेश्यो कितना होना चाहिए?
2.भारत में PE रेश्यो कितना होना चाहिए?
3.क्या पीई अनुपात अच्छा होता है?
4.शेयर मार्केट में PE और CE का क्या अर्थ है?
5.कंपनी का PE रेश्यो कैसे चेक करें?
निष्कर्ष.

PE Ratio क्या है? (सरल परिभाषा)

PE Ratio का पूरा नाम Price-to-Earnings Ratio है। हिंदी में इसे "मूल्य-आय अनुपात" भी कहते हैं। यह अनुपात बताता है कि मार्केट में किसी कंपनी के 1 शेयर की कीमत उसके प्रति शेयर आय (EPS) का कितना गुना है।

उदाहरण से समझिए:

मान लीजिए, कंपनी ABC का एक शेयर ₹200 में बिक रहा है, और उसका EPS (Earnings Per Share) ₹10 है। तो,
PE Ratio = शेयर की कीमत / EPS = 200 / 10 = 20
यानी, निवेशक कंपनी के हर ₹1 के मुनाफे के लिए ₹20 देने को तैयार हैं।

PE Ratio की गणना कैसे करें? (Formula)

PE Ratio निकालने का फॉर्मूला बेहद आसान है:
PE Ratio = शेयर का मार्केट प्राइस (Market Price) ÷ प्रति शेयर आय (EPS)
  • Market Price: वह कीमत जिस पर शेयर बाज़ार में खरीदा-बेचा जा रहा है।
  • EPS (Earnings Per Share): कंपनी का कुल मुनाफा (Net Profit) को उसके कुल शेयर्स की संख्या से भाग देने पर मिलता है।
EPS कैसे निकालें?
EPS = (कंपनी का सालाना मुनाफा) ÷ (कुल शेयर्स की संख्या)

PE Ratio के प्रकार: Trailing PE vs Forward PE

PE Ratio दो तरह के होते हैं, जिन्हें समझना ज़रूरी है:

Trailing PE Ratio:
  • यह कंपनी के पिछले 12 महीनों के EPS के आधार पर निकाला जाता है।
  • उदाहरण: अगर कंपनी ने पिछले साल ₹10 करोड़ का मुनाफा कमाया और उसके 1 करोड़ शेयर हैं, तो EPS = 10 ₹ होगा।
Forward PE Ratio:
  • यह कंपनी के भविष्य के अनुमानित EPS के आधार पर होता है। 
  • उदाहरण: अगर एनालिस्ट्स को लगता है कि अगले साल कंपनी का EPS ₹15 होगा, तो Forward PE = मार्केट प्राइस / 15 ।

PE Ratio क्यों मायने रखता है? (5 प्रमुख कारण)

1.शेयर की "सस्ताई" या "महंगाई" का पैमाना:
  • कम PE Ratio का मतलब है कि शेयर अपने मुनाफे के मुकाबले सस्ता है।
  • उच्च PE Ratio यह दिखाता है कि निवेशक भविष्य के ग्रोथ के लिए अधिक कीमत चुका रहे हैं।
2.कंपनियों की तुलना में मददगार:
  • एक ही सेक्टर की कंपनियों के PE Ratio को Compare करके बेहतर निवेश का चुनाव किया जा सकता है।
3.मार्केट के मूड को समझना:
  • पूरे मार्केट का औसत PE Ratio बताता है कि बाज़ार "ओवरवैल्यूड" या "अंडरवैल्यूड" है।
4.ग्रोथ का संकेत:
  • High PE वाली कंपनियाँ अक्सर तेज़ी से बढ़ने वाली (जैसे टेक स्टार्टअप) होती हैं।
  • Low PE वाली कंपनियाँ परिपक्व (जैसे बैंक, FMCG) हो सकती हैं।
5.रिस्क का आकलन:
  • बहुत ज़्यादा PE Ratio वाले शेयर्स में गिरावट का रिस्क अधिक होता है।

PE Ratio को कैसे इस्तेमाल करें? (4 Practical Tips)

1.सेक्टर के हिसाब से देखें:
  • IT कंपनियों का PE Ratio FMCG कंपनियों से अलग होता है।
  • उदाहरण: TCS का PE Ratio 30 और HUL का 50 हो सकता है, लेकिन दोनों अलग सेक्टर हैं।
2.ऐतिहासिक PE Ratio से तुलना करें:
  • कंपनी का पिछले 5 साल का PE Ratio देखें। अगर मौजूदा PE इससे काफी ऊपर है, तो सावधानी बरतें।
3.मार्केट के औसत PE से Check करें:
  • Nifty 50 का औसत PE 22 है। अगर कोई शेयर 40 PE पर है, तो यह बाकियों से महंगा हो सकता है।
4.ग्रोथ के साथ जोड़कर देखें:
  • अगर कंपनी का मुनाफा तेज़ी से बढ़ रहा है, तो High PE Ratio जस्टिफाइड हो सकता है।

PE Ratio की सीमाएँ

PE Ratio एक शक्तिशाली टूल है, लेकिन इसकी कुछ कमियाँ भी हैं:
 
1.ऋण (Debt) का असर नहीं दिखता:
  • दो कंपनियों का PE Ratio समान हो सकता है, लेकिन एक पर भारी कर्ज़ होने से उसका रिस्क अधिक होगा।
2.एकमुश्त मुनाफे/नुकसान का असर:
  • अगर किसी साल कंपनी को प्रॉपर्टी बेचने से एकमुश्त मुनाफा हुआ, तो EPS बढ़ जाएगा और PE Ratio कम होगा। यह गुमराह कर सकता है।
3.नई कंपनियों के लिए कम उपयोगी:
  • जिन कंपनियों को अभी मुनाफा शुरू हुआ है या Loss में हैं, उनका PE Ratio नहीं निकाला जा सकता।

FAQs

1.शेयर का पीई रेश्यो कितना होना चाहिए?
अच्छा P/E रेश्यो 15-25 के बीच होता है, लेकिन यह इंडस्ट्री और कंपनी के ग्रोथ पर भी निर्भर करता है!

2.भारत में PE रेश्यो कितना होना चाहिए?
भारत में आमतौर पर 15-25 P/E रेश्यो अच्छा माना जाता है, लेकिन यह सेक्टर और कंपनी के फंडामेंटल्स पर भी निर्भर करता है!

3.क्या पीई अनुपात अच्छा होता है?
हाँ, एक अच्छा P/E अनुपात (आमतौर पर 15-25) कंपनी के सही मूल्यांकन का संकेत देता है, लेकिन सेक्टर और ग्रोथ को भी देखें!

4.शेयर मार्केट में PE और CE का क्या अर्थ है?
PE (Price to Earnings) शेयर की कीमत और कमाई का अनुपात है, जबकि CE (Call Option) एक डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट होता है जो खरीदार को शेयर खरीदने का अधिकार देता है!

5.कंपनी का PE रेश्यो कैसे चेक करें?
कंपनी का P/E रेश्यो चेक करने के लिए शेयर की करंट प्राइस को उसके EPS (Earnings Per Share) से डिवाइड करें – ये आसानी से मार्केट एप्स या फाइनेंसियल वेबसाइट्स पर मिल जाता है!

निष्कर्ष: PE Ratio को समझें, लेकिन अकेले पर निर्भर न रहें!

PE Ratio शेयर बाज़ार का एक महत्वपूर्ण स्टेपिंग स्टोन है, लेकिन यह अकेला सफल निवेश की गारंटी नहीं देता। इसे Debt Ratio, ROE, ग्रोथ रेट जैसे दूसरे फंडामेंटल्स के साथ जोड़कर देखें। साथ ही, टेक्निकल एनालिसिस और मार्केट ट्रेंड्स पर भी नज़र रखें।

अगर आप नए हैं, तो PE Ratio को समझकर आप मार्केट के शोरगुल से बच सकते हैं और सही शेयर चुन सकते हैं। आज ही अपने पसंदीदा शेयर का PE Ratio चेक करें और देखें कि वह "सस्ता" है या "महंगा"!

अगर आपको यह गाइड पसंद आया, तो हमारे अन्य ब्लॉग्स "Fundamental Analysis कैसे करे" और "शेयर बाजार का मतलब क्या है" ये भी ज़रूर पढ़ें। 

  धन्यवाद!

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