Upcoming Government IPOs in India 2025 Hindi - 2025 में भारत के आगामी सरकारी IPO: भारतीय निवेशकों हेतु दीर्घकालिक लाभ, भरोसेमंद और वित्तीय सुरक्षा के नए अवसर!
नमस्कार पाठकों! क्या आप भी भारतीय शेयर बाजार में निवेश करके अपनी बचत को बढ़ाना चाहते हैं? क्या आप ऐसे निवेश के अवसर तलाश रहे हैं जो भरोसेमंद हों, स्थिर हों और देश की तरक्की में भी हिस्सेदारी दिलाएँ? अगर हाँ, तो 2025 का साल आपके लिए खास होने वाला है! भारत की सरकार अपनी कई बड़ी और फायदे में चलने वाली कंपनियों का निजीकरण (Disinvestment) का प्लान बना रही है, इन कंपनियों के IPO(Initial Public Offering) जल्दी ही बाजार में आने वाले है। इन "सरकारी IPO" या "PSU कंपनियों के IPO" को निवेशकों के लिए बहुत सुरक्षित माना जाता है, और ये अक्सर शुरुआत में अच्छा फायदा देते हैं साथ ही लम्बे समय तक भी बढ़िया रिटर्न देने की उम्मीद रहती है।
इस विस्तृत हिंदी गाइड में, हम आपको 2025 के दूसरे हिस्से (अगस्त से दिसंबर) में आने वाले सभी प्रमुख सरकारी आईपीओ (Government IPOs) की पूरी जानकारी देंगे। साथ ही, कुछ बड़े निजी क्षेत्र के आईपीओ (Private Sector IPOs) पर भी नज़र डालेंगे जो इस साल मार्केट में हलचल पैदा कर सकते हैं। चाहे आप एक अनुभवी निवेशक हों या शुरुआत कर रहे हों, यह गाइड आपको सरल हिंदी भाषा में, कदम दर कदम समझाएगी कि:
- इन आईपीओ में कैसे निवेश करें (कदम-दर-कदम गाइड)
- कौन सी कंपनियां आ रही हैं और उनकी ताकत क्या है?
- इनमें निवेश के क्या फायदे और क्या जोखिम हैं?
- टैक्स कैसे लगेगा?
- आवंटन (Allotment) पाने के लिए क्या टिप्स अपनाएं?
- और भी बहुत कुछ!
1. परिचय: आईपीओ की दुनिया में एक झलक (Introduction)
1.1 भारत में IPO की आसान जानकारी (Simple Guide to IPOs in India)
सोचिए कि आप एक ऐसी दुकान खोल रहे हैं जिसमें बहुत सारे लोग हिस्सेदारी खरीद सकें। आईपीओ (इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग) कुछ ऐसा ही होता है, लेकिन कंपनियों के लिए। जब कोई कंपनी पहली बार आम जनता को अपने शेयर (हिस्सेदारी) बेचना शुरू करती है, तो उसे आईपीओ कहते हैं। यह कंपनी के लिए पैसा जुटाने (फंड रेज) का एक बड़ा जरिया होता है, और निवेशकों के लिए उस कंपनी के शुरुआती मालिक बनने का मौका। भारत में पिछले कुछ सालों में आईपीओ का बाजार बहुत गर्म रहा है, जिसमें छोटे-बड़े हजारों निवेशक हिस्सा लेते हैं।1.2 सरकारी आईपीओ का महत्व (Importance of Government-backed IPOs)
अब सोचिए, वह कंपनी अगर सरकार की हो! यानी भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही कंपनी (Public Sector Undertaking - PSU)। इन कंपनियों के आईपीओ को "सरकारी आईपीओ" कहते हैं। इनकी खास बात यह है:- विश्वसनीयता (Trust): सरकार के पीछे होने के कारण इन पर लोगों का भरोसा ज्यादा होता है।
- स्थिरता (Stability): ये कंपनियां आमतौर पर बड़े और महत्वपूर्ण क्षेत्रों (जैसे बैंकिंग, ऊर्जा, रेलवे) में काम करती हैं, जिससे इनका व्यापार स्थिर रहता है।
- लम्बे समय की तरक्की (Long-Term Growth): ये कंपनियां देश की प्रगति में बहुत महत्वपूर्ण काम करती हैं, इस वजह से इनके आगे बढ़ने के चांसेस बेहतर रहते हैं।
- लाभांश (Dividend): कई सरकारी कंपनियां नियमित रूप से शेयरधारकों को लाभांश (मुनाफे का हिस्सा) भी देती हैं।
1.3 इस लेख का उद्देश्य - हिंदी निवेशकों की नजर से (Purpose of the Article – Hindi Investors’ Perspective)
इस लेख का मकसद आपको, हिंदी भाषी निवेशकों को, सरल और स्पष्ट हिंदी में 2025 में आने वाले सरकारी आईपीओ की पूरी जानकारी देना है। हम यहां सिर्फ सूची नहीं देंगे, बल्कि समझाएंगे कि इनमें कैसे, कब और क्यों निवेश करें। यह गाइड शुरुआती निवेशकों से लेकर अनुभवियों तक, सभी के काम आएगी।2. सरकारी आईपीओ को समझना (Understanding Government IPOs)
2.1 सरकारी आईपीओ क्या होता है? (What is a Government IPO?)
जब भारत सरकार अपनी किसी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी (PSU) में अपनी हिस्सेदारी (शेयरों) का एक हिस्सा पहली बार आम जनता और संस्थानों को बेचती है, तो उसे सरकारी आईपीओ कहते हैं। इसका मतलब यह नहीं कि कंपनी पूरी तरह निजी हो जाएगी; सरकार अक्सर बहुमत (50% से ज्यादा) हिस्सेदारी बरकरार रखती है। यह प्रक्रिया सरकार के "विनिवेश" (Disinvestment) कार्यक्रम का हिस्सा होती है।2.2 सरकारी और निजी आईपीओ में अंतर (Difference between Government IPO and Private IPO)
विशेषता (Feature) | सरकारी आईपीओ (Government IPO) | निजी आईपीओ (Private IPO) |
---|---|---|
मालिकाना हक (Ownership) | भारत सरकार (बहुमत में) | निजी प्रमोटर/संस्थापक/निजी इक्विटी फर्म |
उद्देश्य (Objective) | विनिवेश लक्ष्य, कंपनी को बाजार अनुशासन में लाना | पूंजी जुटाना, प्रमोटर निकासी, ब्रांड विस्तार |
जोखिम स्तर (Risk) | आमतौर पर कम (स्थिर व्यवसाय, सरकारी समर्थन) | मध्यम से उच्च (बाजार प्रतिस्पर्धा पर निर्भर) |
रिटर्न की संभावना | स्थिर, अक्सर अच्छा लाभांश, मध्यम वृद्धि | उच्च वृद्धि की संभावना, लेकिन ज्यादा अस्थिरता भी |
उदाहरण | LIC, IRCTC, IRFC | Zomato, Paytm, Nykaa |
2.3 विनिवेश में सरकार की भूमिका (Role of Government in Disinvestment)
विनिवेश का मतलब है सरकार द्वारा अपनी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचना। इसके पीछे कई मकसद होते हैं:- धन एकत्र करना (Fund Raising): सरकार को इन पैसों की आवश्यकता जनकल्याण प्रोग्राम्स, इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट या नुकसान भरने के लिए पड़ती है।
- कंपनी को बेहतर बनाना (Improving Efficiency): जब कंपनी सार्वजनिक होती है, तो उसे शेयरधारकों के सामने जवाबदेह होना पड़ता है। इससे उसकी कार्यकुशलता बढ़ने की उम्मीद होती है।
- बाजार की गहराई बढ़ाना (Deepening Capital Markets): सरकारी आईपीओ बाजार में निवेश के नए विकल्प लाते हैं।
- अर्थव्यवस्था को बढ़ावा (Economic Growth): यह निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाकर आर्थिक विकास में मदद करता है।
2.4 सरकार आईपीओ क्यों लाती है? (Why Government Launches IPOs)
सरकारी आईपीओ लाने के मुख्य कारण ऊपर बताए गए विनिवेश के उद्देश्यों से जुड़े ही हैं:- वित्तीय लक्ष्य पूरा करना: सरकार हर साल बजट में विनिवेश से कमाई का एक लक्ष्य (Target) रखती है। आईपीओ इस लक्ष्य को पूरा करने का एक बड़ा जरिया है।
- कंपनी का मूल्यांकन (Valuation): सार्वजनिक बाजार में सूचीबद्ध होने से कंपनी का सही बाजार मूल्य पता चलता है।
- शेयरधारक लोकतंत्र (Shareholder Democracy): आम जनता को देश की प्रमुख कंपनियों में हिस्सेदार बनने का मौका मिलता है।
- कर्ज कम करना (Debt Reduction): कंपनी को मिलने वाली पूंजी का उपयोग उसके कर्ज को कम करने में भी हो सकता है।
3. भारत में 2025 का आईपीओ परिदृश्य (IPO Landscape in India 2025)
3.1 2025 में बाजार का मिजाज (Market Sentiment in 2025)
2025 में भारतीय शेयर बाजार का मिजाज कई बातों पर निर्भर करेगा:- US की ब्याज दरें (US Interest Rates): जब अमेरिकी फेड रेट घटाती है, तो विदेशी निवेशक भारत और दूसरे developing markets में ज्यादा रुपया डालने लगते हैं।
- भारत की इकॉनमी (Indian Economy): यदि देश की विकास दर अच्छी बनी रहे (लगभग 7%), तो मार्केट में पॉजिटिव वातावरण रहेगा।
- सामान्य चुनाव 2024 का असर (Impact of General Elections): चुनावों के बाद स्थिर सरकार का गठन निवेशकों के विश्वास को बढ़ा सकता है।
- वैश्विक भू-राजनीतिक स्थिति (Geopolitical Factors): अंतरराष्ट्रीय तनाव और आपूर्ति श्रृंखला की समस्याएं बाजार को प्रभावित कर सकती हैं।
3.2 बजट 2025 की घोषणाओं का आईपीओ पर असर (Impact of Budget 2025 Announcements on IPOs)
फरवरी 2025 में पेश होने वाला केंद्रीय बजट आईपीओ बाजार के लिए महत्वपूर्ण होगा:- विनिवेश लक्ष्य (Disinvestment Target): सरकार कितना बड़ा विनिवेश लक्ष्य रखती है? यह सीधे तौर पर बताएगा कि कितने सरकारी आईपीओ आने की संभावना है।
- कराधान (Taxation): लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) या डिविडेंड पर कर में कोई बदलाव आईपीओ में निवेश की आकर्षकता को प्रभावित करेगा।
- सेक्टर पर फोकस: अगर बजट में किसी खास सेक्टर (जैसे ग्रीन एनर्जी, इंफ्रास्ट्रक्चर) को बढ़ावा दिया जाता है, तो उस सेक्टर से जुड़े आईपीओ (जैसे NLC ग्रीन एनर्जी) को फायदा मिल सकता है।
3.3 2025 में प्रमुखता वाले सेक्टर (Sectors Likely to Dominate in 2025)
2025 के आईपीओ बाजार में इन सेक्टर्स के दबदबे की उम्मीद है:- हरित ऊर्जा (Renewable Energy): जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों से निवेश बढ़ रहा है (NLC ग्रीन एनर्जी जैसे आईपीओ पर नजर रखें)।
- वित्तीय सेवाएं (Financial Services): बैंकिंग, एनबीएफसी और एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (जैसे Canara Robeco AMC) की मजबूत मांग बनी रहने की संभावना है।
- बुनियादी ढांचा (Infrastructure): रेलवे, सड़क, बंदरगाह और लॉजिस्टिक्स से जुड़ी कंपनियों पर फोकस जारी रह सकता है।
- प्रौद्योगिकी और डिजिटल (Technology & Digital): फिनटेक और उपभोक्ता इंटरनेट कंपनियों के आईपीओ आ सकते हैं।
- विनिर्माण (Manufacturing): पीएलआई स्कीम्स (PLI Schemes) के तहत विनिर्माण को बढ़ावा देने से संबंधित कंपनियों के आईपीओ भी देखने को मिल सकते हैं।
4. भारत में आने वाले सरकारी आईपीओ (अगस्त - दिसंबर 2025) (Upcoming Government IPOs in India (Aug–Dec 2025))
4.1 आईपीओ समयरेखा: एक सिंहावलोकन (IPO Timeline Overview)
2025 के दूसरे छमाही में आने वाले प्रमुख सरकारी आईपीओ का अनुमानित कार्यक्रम इस प्रकार है:- अक्टूबर-नवंबर 2025: भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (BCCL)
- नवंबर-दिसंबर 2025: सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट (CMPDI), NLC इंडिया ग्रीन एनर्जी लिमिटेड
- नवंबर-दिसंबर 2025 या जनवरी 2026: केनरा रोबेको फंड मैनेजमेंट कंपनी (Canara Robeco AMC)
4.2 2025 में आने वाले तय सरकारी शेयर की सूची (List of Confirmed Government IPOs 2025)
सरकार और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इन PSU कंपनियों के आईपीओ 2025 में आने की पुष्टि या प्रबल संभावना है:- NLC इंडिया ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (NLC India Green Energy Ltd.): एनएलसी इंडिया लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी, जो नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं (सौर, पवन) पर केंद्रित है।
- भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (Bharat Coking Coal Ltd. - BCCL): कोल इंडिया लिमिटेड की प्रमुख सहायक कंपनी, जो इस्पात उद्योग के लिए आवश्यक उच्च गुणवत्ता वाली कोकिंग कोयले का उत्पादन करती है।
- सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट (CMPDI): कोल इंडिया की एक और महत्वपूर्ण सहायक कंपनी, जो खनन परियोजनाओं की योजना, डिजाइन और सलाहकार सेवाएं प्रदान करती है।
4.3 अभी तक पुष्टि नहीं हुए अनुमानित सरकारी आईपीओ (Tentative Government IPOs Yet to be Confirmed)
इन कंपनियों के आईपीओ की चर्चा है, लेकिन अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है:- केनरा रोबेको एसेट मैनेजमेंट कंपनी (Canara Robeco Asset Management Company): केनरा बैंक और नीदरलैंड्स स्थित रोबेको ग्रुप की संयुक्त उपक्रम (JV) कंपनी, जो म्यूचुअल फंड प्रबंधन करती है। IPO आने के चांसेस बताए गए हैं, पर सही टाइम अभी तक साफ नहीं है (Q4 FY25 या उसके बाद)।
4.4 सेक्टर के अनुसार विभाजन (Sector-Wise Breakdown)
4.4.1 बैंकिंग और वित्तीय सेवाएं आईपीओ (Banking & Finance Sector IPOs)- केनरा रोबेको फंड हाउस (Canara Robeco AMC): देश की प्रमुख म्यूचुअल फंड कंपनियों में गिनी जाती है। म्यूचुअल फंड(Mutual Fund) इंडस्ट्री की रफ्तार देखते हुए इस शेयर पर ध्यान दें। (संभावित समय: नवंबर-दिसंबर 2025 या इसके बाद)
- NLC इंडिया ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (NLC India Green Energy Ltd.): भारत के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में तेजी से विस्तार कर रही कंपनी। सरकार के ग्रीन एनर्जी फोकस के कारण यह आईपीओ बेहद महत्वपूर्ण होगा। (अनुमानित: नवंबर-दिसंबर 2025)
- इस अवधि में सीधे तौर पर रेलवे आईपीओ की पुष्टि नहीं है, लेकिन रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े ठेकेदारों के आईपीओ आ सकते हैं।
- इस अवधि में प्रमुख रक्षा पीएसयू आईपीओ (जैसे BDL, HAL पहले ही लिस्टेड हैं) की पुष्टि नहीं है। छोटी सहायक कंपनियों या नई इकाइयों के आईपीओ की संभावना हो सकती है।
- भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (BCCL): कोकिंग कोयले का प्रमुख उत्पादक, इस्पात उद्योग के लिए महत्वपूर्ण। (अनुमानित: अक्टूबर-नवंबर 2025)
- सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट (CMPDI): खनन क्षेत्र की प्रमुख कंसल्टेंसी कंपनी। (अनुमानित: नवंबर-दिसंबर 2025)
- टाटा कैपिटल (Tata Capital): टाटा ग्रुप की फाइनेंसियल कंपनी टाटा कैपिटल (Tata Capital) का IPO, जुलाई से सितंबर 2025 के बीच आने की उम्मीद है।
- एथर एनर्जी (Ather Energy): प्रमुख भारतीय इलेक्ट्रिक स्कूटर निर्माता। (अनुमानित: जून-जुलाई / अगस्त 2025)
- जेएसडब्लू सीमेंट (JSW Cement): जेएसडब्लू ग्रुप की सीमेंट कंपनी। (अनुमानित: 2025)
- हीरो फिनकॉर्प (Hero FinCorp): हीरो मोटोकॉर्प समूह की वित्तीय सेवा कंपनी। (अनुमानित: 2025)
- एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया (LG Electronics India): प्रमुख उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी।
- (अनुमानित: 2025) एनएसडीएल (NSDL - National Securities Depository Ltd.): भारत की सबसे बड़ी सिक्योरिटी डिपॉजिटरी, एनएसडीएल (NSDL - National Securities Depository Ltd.) का IPO आ चुका है. यह 30 जुलाई से 1 अगस्त 2025 तक खुला था और इसकी लिस्टिंग 6 अगस्त 2025 को हो चुकी है.
5. आने वाले आईपीओ का विस्तृत विवरण (Detailed Profiles of Upcoming IPOs)
NLC इंडिया ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (NLC India Green Energy Ltd.)
- 5.1 कंपनी पृष्ठभूमि (Company Background): एनएलसी इंडिया लिमिटेड (NLCIL) की 100% सहायक कंपनी, जिसे विशेष रूप से नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं (सौर, पवन, हाइब्रिड) को विकसित करने, स्वामित्व रखने और संचालित करने के लिए बनाया गया है। यह भारत सरकार की हरित ऊर्जा पहलों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
- 5.2 उद्योग अवलोकन (Industry Overview): भारत का नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है, जिसमें 2030 तक 500 GW गैर-जीवाश्म क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य है। सरकारी समर्थन और बढ़ती मांग से यह क्षेत्र बहुत आकर्षक है।
- 5.3 वित्तीय प्रदर्शन (Financial Performance - Last 3 Years): चूंकि यह एक नई स्थापित सहायक कंपनी है, इसका स्वतंत्र वित्तीय ट्रैक रिकॉर्ड सीमित हो सकता है। हालांकि, इसकी मूल कंपनी NLCIL का नवीकरणीय कारोबार और निवेश पर ध्यान दिया जाएगा। NLCIL के रिन्यूएबल पोर्टफोलियो की वृद्धि और परियोजना की लाभप्रदता विश्लेषण के मुख्य बिंदु होंगे।
- 5.4 सरकारी हिस्सेदारी पैटर्न (Government Shareholding Pattern): आईपीओ से पहले, 100% शेयरधारिता NLC इंडिया लिमिटेड (सरकार के अप्रत्यक्ष नियंत्रण में) के पास है। आईपीओ के बाद, सरकार (NLCIL के माध्यम से) बहुमत हिस्सेदारी बरकरार रखेगी।
- 5.5 आईपीओ आकार और मूल्यांकन अनुमान (IPO Size & Valuation Estimates): अनुमान बताते हैं कि यह आईपीओ ₹2000 करोड़ से ₹5000 करोड़ के बीच का हो सकता है। मूल्यांकन भारत के अन्य प्रमुख नवीकरणीय ऊर्जा कंपनियों (जैसे NTPC ग्रीन, टाटा पावर रिन्यूएबल्स) के आधार पर तय होगा।
- 5.6 आईपीओ आय के उपयोग (Use of IPO Proceeds): एकत्रित धनराशि का उपयोग मुख्य रूप से नई सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं को स्थापित करने, कर्ज चुकाने और सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्यों के लिए किया जाएगा।
भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (Bharat Coking Coal Ltd. - BCCL)
- 5.1 कंपनी पृष्ठभूमि: कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) की प्रमुख सहायक कंपनियों में से एक, जिसकी स्थापना 1972 में कोकिंग कोयले के खनन और उत्पादन के लिए की गई थी। यह झारखंड में स्थित है और इस्पात उद्योग को कोयला आपूर्ति करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- 5.2 उद्योग अवलोकन: इस्पात (स्टील) बनाने के लिए कोकिंग कोल एक ज़रूरी कच्चा माल है। भारत में इसकी मांग हमेशा बनी रहती है, पर हमें इसे दूसरे देशों से मंगाना पड़ता है। बीसीसीएल घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है।
- 5.3 वित्तीय प्रदर्शन:
- (अनुमानित - वास्तविक आंकड़े DRHP में आएंगे):
- 2023-24: उत्पादन में वृद्धि के साथ लाभप्रदता में सुधार की संभावना।
- 2022-23: कोयले की ऊंची कीमतों के कारण बेहतर वित्तीय प्रदर्शन रहा होगा।
- 2021-22: कोविड के बाद के प्रभावों से उबरने की अवस्था।
- 5.4 सरकारी हिस्सेदारी पैटर्न: सरकार के पास अभी कोल इंडिया लिमिटेड की 100% हिस्सेदारी है. IPO आने पर सरकार इसमें से कुछ शेयर बेचेगी, लेकिन कंपनी की ज़्यादातर हिस्सेदारी कोल इंडिया लिमिटेड के पास ही रहेगी.
- 5.5 आईपीओ आकार और मूल्यांकन अनुमान: यह आईपीओ लगभग ₹1000 करोड़ से ₹2500 करोड़ का हो सकता है। मूल्यांकन इसके भंडार, उत्पादन क्षमता और लाभप्रदता पर आधारित होगा।
- 5.6 आईपीओ आय के उपयोग: धनराशि का उपयोग खनन गतिविधियों का विस्तार करने, नई तकनीक लाने, पर्यावरणीय पहलों और कर्ज चुकाने के लिए किया जा सकता है।
सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट (CMPDI)
- 5.1 कंपनी पृष्ठभूमि: यह कोल इंडिया लिमिटेड की एक और बड़ी सहायक कंपनी है, जो 1975 में बनी थी. यह भारत की सबसे बड़ी माइनिंग कंसल्टेंसी कंपनी है, जो कोयला, लौह अयस्क, तांबा और सोना जैसी चीज़ों के लिए योजना बनाने, डिजाइन करने और इंजीनियरिंग की सेवाएं देती है।
- 5.2 उद्योग अवलोकन: खनन क्षेत्र के विकास और आधुनिकीकरण के लिए विशेषज्ञ योजना और डिजाइन सेवाओं की अहम भूमिका है। CMPDI का काम खनन परियोजनाओं को कुशल, सुरक्षित और पर्यावरण अनुकूल बनाना है।
- 5.3 वित्तीय प्रदर्शन:
- (अनुमानित): CMPDI का व्यवसाय आमतौर पर स्थिर रहता है क्योंकि यह कोल इंडिया और अन्य खनन पीएसयू को सेवाएं प्रदान करता है। इसकी आय सेवा शुल्क पर आधारित होती है। लाभप्रदता अच्छी बनी रह सकती है।
- 5.4 सरकारी हिस्सेदारी पैटर्न: वर्तमान में 100% शेयरधारिता कोल इंडिया लिमिटेड के पास है। आईपीओ में कोल इंडिया द्वारा हिस्सेदारी बेची जाएगी।
- 5.5 आईपीओ आकार और मूल्यांकन अनुमान: यह अपेक्षाकृत छोटा आईपीओ हो सकता है, संभवतः ₹500 करोड़ से ₹1500 करोड़ के बीच। मूल्यांकन इसकी विशेषज्ञता, ग्राहक आधार और अनुबंधों पर आधारित होगा।
- 5.6 आईपीओ आय के उपयोग: धन का उपयोग नई तकनीक अपनाने (जैसे डिजिटल माइनिंग सॉल्यूशंस), कर्मचारी प्रशिक्षण, विस्तार और कॉर्पोरेट उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
केनरा रोबेको एसेट मैनेजमेंट कंपनी (Canara Robeco AMC)
- 5.1 कंपनी पृष्ठभूमि: यह भारत सरकार के केनरा बैंक और नीदरलैंड्स की रोबेको ग्रुप (जो एक बड़ी एसेट मैनेजमेंट कंपनी है) का जॉइंट वेंचर है. यह भारत की टॉप 15 म्यूचुअल फंड कंपनियों में से एक है, जो लाखों करोड़ रुपये के एसेट्स को मैनेज करती है।
- 5.2 उद्योग अवलोकन: भारतीय म्यूचुअल फंड उद्योग तेजी से बढ़ रहा है, जिसमें एसआईपी (SIP) के माध्यम से रिटेल निवेशकों की भागीदारी लगातार बढ़ रही है। बचत के पारंपरिक तरीकों से शेयर बाजार की ओर रुझान बढ़ा है।
- 5.3 वित्तीय प्रदर्शन: एएमसी कंपनियों का मुख्य राजस्व फंडों पर लगने वाले प्रबंधन शुल्क (Expense Ratio) से आता है। केनरा रोबेको का वित्तीय प्रदर्शन इसके एयूएम वृद्धि और फंडों के प्रदर्शन पर निर्भर करता है। पिछले कुछ वर्षों में एयूएम में स्थिर वृद्धि देखी गई है।
- 5.4 सरकारी हिस्सेदारी पैटर्न: वर्तमान में केनरा बैंक के पास लगभग 51% या उससे ज्यादा हिस्सेदारी है (सटीक प्रतिशत DRHP में आएगा)। आईपीओ में केनरा बैंक अपनी कुछ हिस्सेदारी बेचेगा, लेकिन वह बहुमत शेयरधारक बना रहेगा। रोबेको की हिस्सेदारी भी रहेगी।
- 5.5 आईपीओ आकार और मूल्यांकन अनुमान: यह मध्यम आकार का आईपीओ हो सकता है (₹1500 करोड़ से ₹3000 करोड़)। मूल्यांकन एयूएम, लाभप्रदता और उद्योग के पी/ई अनुपातों के आधार पर तय होगा।
- 5.6 आईपीओ आय के उपयोग: आईपीओ प्रक्रिया से मिलने वाला पैसा मुख्य रूप से प्रमोटर (केनरा बैंक) को जाएगा (ओएफएस - Offer for Sale)। कंपनी को सीधे नए पूंजी निवेश की आवश्यकता नहीं हो सकती है।
6. आने वाले सरकारी आईपीओ में आवेदन कैसे करें? (How to Apply for Upcoming Government IPOs)
सरकारी हो या निजी, आईपीओ में आवेदन करने की प्रक्रिया लगभग समान होती है। यहां हिंदी में सरल चरण दिए गए हैं:6.1 चरण-दर-चरण आवेदन प्रक्रिया (Step-by-Step Application Process in Hindi)
- डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट (Demat & Trading Account): सबसे पहले, आपके पास किसी रजिस्टर्ड डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (जैसे ज़ेरोधा, ग्रो, एंजेल वन, आईसीआईसीआई डायरेक्ट, एचडीएफसी सिक्योरिटीज) के साथ खुला डीमैट अकाउंट (शेयरों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से रखने के लिए) और ट्रेडिंग अकाउंट (शेयर खरीदने-बेचने के लिए) होना अनिवार्य है।
- आईपीओ की जानकारी (IPO Information): जिस कंपनी का IPO निकल रहा है, पहले, उस कंपनी का नाम, IPO की तारीखें, शेयर का प्राइस बैंड (एक शेयर की कीमत कितने से कितने तक है), और लॉट साइज (आपको कम से कम कितने शेयर खरीदने होंगे) जैसी जानकारी पता कर लें. यह जानकारी ब्रोकर ऐप्स, एनएसई/बीएसई वेबसाइट या समाचार पत्रों में मिल जाती है।
- आवेदन के तरीके चुनें (Choose Application Method):
- एएसबीए (ASBA) के माध्यम से बैंक द्वारा: सबसे आसान और आम तरीका (नीचे विस्तार से)।
- स्टॉक ब्रोकर ऐप के माध्यम से: ज़्यादातर ऑनलाइन ब्रोकर (जैसे ग्रो, एंजेल वन, उपस्टॉक्स) अपने ऐप या वेब प्लेटफॉर्म पर सीधे आईपीओ में आवेदन की सुविधा देते हैं।
- ऑफलाइन फॉर्म द्वारा: कम प्रचलित, लेकिन फिर भी उपलब्ध (नीचे विस्तार से)।
- आवेदन पूरा करें (Complete Application): अपने डीमैट अकाउंट, पैन कार्ड और बैंक अकाउंट की जानकारी के साथ, जितने शेयर खरीदने हैं उनकी संख्या (लॉट के हिसाब से) भरकर आवेदन करें। आवेदन राशि की गणना स्वचालित हो जाती है (शेयरों की संख्या x कीमत बैंड की ऊपरी सीमा)।
- पेमेंट प्राधिकरण (Payment Authorization): आईपीओ के लिए अप्लाई करते समय, बैंक अकाउंट से पैसे तुरंत नहीं कटते, बल्कि वे 'ब्लॉक' हो जाते हैं. अगर आपको शेयर मिलते हैं, तो सिर्फ उतने ही पैसे कटेंगे. बाकी की रकम 'अनब्लॉक' हो जाएगी। अगर आवंटन नहीं मिलता, तो पूरी राशि अनब्लॉक हो जाती है।
- आवंटन और लिस्टिंग (Allotment & Listing): आईपीओ बंद होने के बाद, आवंटन की प्रक्रिया होती है। आवंटन का परिणाम आमतौर पर आईपीओ बंद होने के 7-10 दिनों के भीतर आता है। यदि आपको शेयर मिलते हैं, तो वे सीधे आपके डीमैट अकाउंट में जमा हो जाएंगे। आईपीओ बंद होने के लगभग 10-15 दिनों बाद कंपनी के शेयर स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई/बीएसई) पर लिस्ट होते हैं, और आप उन्हें बेच सकते हैं या होल्ड कर सकते हैं।
6.2 बैंक के माध्यम से एएसबीए सुविधा का उपयोग (Using ASBA Facility via Bank)
- आईपीओ में निवेश के लिए एएसबीए (ASBA - Application Supported by Blocked Amount) सबसे सुरक्षित और सुविधाजनक विकल्प है।
- आपको अपने बैंक (जहां आपका सेविंग/करंट अकाउंट है) की शाखा में जाना होगा या अगर बैंक ने ऑनलाइन एएसबीए की सुविधा दी है तो नेट बैंकिंग/मोबाइल बैंकिंग से आवेदन कर सकते हैं।
- बैंक आपसे आईपीओ का नाम, आपका डीमैट अकाउंट नंबर, पैन, और आवेदन करने वाले शेयरों की संख्या पूछेगा।
- बैंक आपके खाते से आवेदन राशि को ब्लॉक कर देगा (काटेगा नहीं)।
- बैंक आपका आवेदन सीधे स्टॉक एक्सचेंज को भेज देगा।
6.3 स्टॉक ब्रोकर ऐप के माध्यम से आवेदन (Applying Through Stock Broker Apps)
- यह तरीका बहुत तेज और आसान है, खासकर युवा निवेशकों के लिए।
- अपने ब्रोकर ऐप (जैसे ग्रो, एंजेल वन, उपस्टॉक्स, ज़ेरोधा) में लॉग इन करें।
- 'IPO' सेक्शन पर जाएं और चल रहे या आने वाले आईपीओ की सूची देखें।
- जिस आईपीओ में आवेदन करना है, उस पर क्लिक करें।
- आवेदन करने वाले शेयरों की संख्या चुनें (लॉट में)। ऐप स्वचालित रूप से आवश्यक राशि दिखाएगा।
- अपना डीमैट अकाउंट चुनें (अगर एक से ज्यादा हैं)।
- ‘एएसबीए के साथ आवेदन करें’ (Apply with ASBA) पर क्लिक करके, उस बैंक खाते की जानकारी दर्ज करें, जिससे IPO के पैसे ब्लॉक किए जाएंगे।
- आवेदन सबमिट कर दें। कुछ ऐप्स आपको आवेदन की कॉपी भी ईमेल कर देंगे।
6.4 ऑफलाइन आवेदन प्रक्रिया (Offline Application Process)
- यह तरीका थोड़ा पुराना और धीमा है, लेकिन अभी भी चलता है।
- आपको आईपीओ का फिजिकल फॉर्म (जिसे आईपीओ एप्लिकेशन फॉर्म या ASBA फॉर्म कहते हैं) लेना होगा। यह फॉर्म आमतौर पर बैंक शाखाओं, ब्रोकर ऑफिसों या स्टॉक एक्सचेंजों से मिल जाता है, या कभी-कभी अखबारों में भी छपता है।
- फॉर्म को ध्यान से भरें: अपना नाम, पता, पैन नंबर, डीमैट अकाउंट नंबर, बैंक अकाउंट विवरण और आवेदन करने वाले शेयरों की संख्या लिखें।
- फॉर्म को अपने बैंक (जहां वह खाता है जिससे पैसे ब्लॉक होंगे) की शाखा में जमा करें।
- बैंक फॉर्म को प्रोसेस करेगा और आवेदन राशि को आपके खाते में ब्लॉक कर देगा।
- पैन कार्ड: आईपीओ में आवेदन के लिए पैन कार्ड अनिवार्य है।
- केवाईसी: आपका डीमैट/ट्रेडिंग अकाउंट और बैंक खाता पूरी तरह से केवाईसी कंप्लायंट होना चाहिए।
- आवेदन राशि: आवेदन करते समय आपके खाते में पर्याप्त फंड होना चाहिए ताकि राशि ब्लॉक की जा सके।
7. सरकारी IPOs में पैसे लगाने के फायदे(Benefits of Investing in Government IPOs)
सरकारी कंपनियों के आईपीओ में निवेश करने के कई विशेष फायदे हैं, जो उन्हें खासकर रिटेल और दीर्घकालिक निवेशकों के लिए आकर्षक बनाते हैं:1.स्थिरता और विश्वसनीयता कारक (Stability and Trust Factor):
- सरकारी कंपनियां आमतौर पर बड़े, स्थापित और राष्ट्रीय महत्व के क्षेत्रों (बैंकिंग, ऊर्जा, खनन, बुनियादी ढांचा) में काम करती हैं।
- सरकारी समर्थन होने के कारण इनके बंद होने या अचानक विफल होने का जोखिम बहुत कम होता है।
- ये कंपनियां सख्त नियमों और विनियमों का पालन करती हैं, जिससे उनकी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता बनी रहती है।
2.दीर्घकालिक विकास की संभावना (Long-Term Growth Potential):
- ये कंपनियां अक्सर देश के आर्थिक विकास की रीढ़ होती हैं और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाती हैं।
- उनके पास बड़ी परिसंपत्तियां (एसेट्स), विशाल ग्राहक आधार और बाजार में मजबूत स्थिति होती है।
- दीर्घावधि में, देश की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ इन कंपनियों के भी बढ़ने की उम्मीद की जा सकती है।
3.लाभांश की संभावना (Dividend Prospects):
- कई सरकारी कंपनियां लाभ का एक हिस्सा नियमित रूप से अपने शेयरधारकों को लाभांश (Dividend) के रूप में वितरित करती हैं।
- यह निवेशकों के लिए निष्क्रिय आय (Passive Income) का एक अच्छा स्रोत हो सकता है, खासकर रिटायरमेंट के बाद।
- सरकार अक्सर डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन पॉलिसी पर ध्यान देती है।
4.रणनीतिक उद्योग जोखिम (Strategic Industry Exposure):
- सरकारी आईपीओ आपको ऐसे महत्वपूर्ण और अक्सर बंद क्षेत्रों (जैसे रक्षा, परमाणु ऊर्जा, रणनीतिक खनन) में निवेश का मौका देते हैं, जहां निजी कंपनियों का प्रवेश सीमित हो सकता है।
- यह आपके पोर्टफोलियो में विविधता (Diversification) लाता है।
5.लिस्टिंग लाभ की संभावना (Potential for Listing Gains):
- सरकारी आईपीओ अक्सर छूट (Discount) पर या उचित मूल्य पर पेश किए जाते हैं ताकि उनकी सफलता सुनिश्चित हो।
- सरकारी पृष्ठभूमि और स्थिरता के कारण निवेशकों का भरोसा ज्यादा होता है, जिससे लिस्टिंग के दिन अच्छे गेन (Listing Gains) की संभावना बनी रहती है (हालांकि यह गारंटीड नहीं है)।
6.रिटेल निवेशकों के लिए आरक्षण (Reservation for Retail Investors):
- सरकारी आईपीओ में आमतौर पर रिटेल निवेशकों के लिए शेयरों का एक निश्चित प्रतिशत (आमतौर पर 35% या ज्यादा) आरक्षित रहता है। इससे छोटे निवेशकों को आवंटन मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
8. सरकारी आईपीओ निवेश में जोखिम (Risks in Government IPO Investments)
हालांकि सरकारी आईपीओ में कई फायदे हैं, लेकिन किसी भी निवेश की तरह इनमें भी कुछ जोखिम जुड़े होते हैं। इन्हें जानना और समझना जरूरी है:1.बाजार में उतार-चढ़ाव (Market Fluctuations):
- शेयर बाजार में हमेशा उतार-चढ़ाव होता रहता है। आईपीओ के लिस्टिंग के समय अगर समग्र बाजार गिरावट में हो (बेयरिश मार्केट), तो भले ही कंपनी अच्छी हो, उसके शेयर की कीमत कम स्तर पर लिस्ट हो सकती है या गिर सकती है, जिससे नुकसान हो सकता है।
- दीर्घावधि में भी, बाजार की स्थितियां शेयर की कीमत को प्रभावित करती रहेंगी।
2.नीतिगत बदलाव और राजनीतिक प्रभाव (Policy Changes and Political Influence):
- सरकारी कंपनियों पर सरकारी नीतियों और राजनीतिक फैसलों का सीधा प्रभाव पड़ता है। सरकार बदलने पर या नीतियों में बदलाव होने पर कंपनी के व्यवसाय या लाभप्रदता पर असर पड़ सकता है।
- कभी-कभी राजनीतिक कारणों से सरकार कंपनी के उत्पाद/सेवाओं की कीमतें कम रख सकती है, जिससे कंपनी का मुनाफा घट सकता है।
- विनिवेश की गति या प्राथमिकताएं सरकार के एजेंडे पर निर्भर करती हैं।
3.क्षेत्र-विशिष्ट जोखिम (Sector-Specific Risks):
- बैंकिंग/वित्त (BCCL, CMPDI): आर्थिक मंदी, कर्जदारों (NPA) की समस्या, ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव।
- NLC ग्रीन (हरित ऊर्जा) के जोखिम: पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बदलाव, सरकारी नियमों में बदलाव, सोलर/विंड प्लांट्स के लिए जमीन लेने या पर्यावरण मंजूरी पाने की दिक्कतें।
- खनन कंपनियों (BCCL, CMPDI) के लिए चुनौतियाँ: सख्त पर्यावरण कानून, खदानों के लिए लीज़ से जुड़ी दिक्कतें और कोयले की इंटरनेशनल कीमतों में उतार-चढ़ाव।
- केनरा रोबेको AMC के जोखिम: बाजार गिरने पर निवेशित राशि (AUM) और मुनाफे में कमी आ सकती है, साथ ही म्यूचुअल फंड कंपनियों के बीच बढ़ती होड़ भी चुनौती है।
4.ऐतिहासिक निराशाजनक प्रदर्शन के मामले (Historical Underperformance Cases):
- सभी सरकारी आईपीओ सफल नहीं होते। कुछ कंपनियां लिस्टिंग के बाद अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरी हैं।
- कारण: खराब कॉर्पोरेट प्रशासन, बाजार के अनुकूल न हो पाना, भारी कर्ज, या क्षेत्र विशेष की समस्याएं।
- उदाहरण: कुछ पीएसयू बैंकों या पुराने उद्योगों से जुड़ी कंपनियों का प्रदर्शन लंबे समय तक निराशाजनक रहा है।
- सीख: सिर्फ सरकारी होने के कारण किसी आईपीओ में निवेश न करें। कंपनी की वित्तीय सेहत, भविष्य की योजनाएं और उद्योग की संभावनाओं का गहन अध्ययन करें।
5.धीमा विकास (Slower Growth):
कुछ सरकारी कंपनियां नौकरशाही प्रक्रियाओं और नवाचार की कमी के कारण निजी क्षेत्र के समकक्षों की तुलना में धीमी गति से बढ़ सकती हैं।
निष्कर्ष: सरकारी आईपीओ स्थिरता और विश्वसनीयता प्रदान करते हैं, लेकिन वे जोखिम-मुक्त नहीं हैं। एक जिम्मेदार निवेशक के रूप में, आपको इन जोखिमों को समझकर, अपनी जोखिम लेने की क्षमता और निवेश लक्ष्यों के अनुसार ही निर्णय लेना चाहिए।
9. 2025 के लिए महत्वपूर्ण आईपीओ आवंटन टिप्स (Key IPO Allotment Tips for 2025)
सरकारी हो या निजी, आईपीओ में आवंटन (Allotment) मिलना कई बार लॉटरी जीतने जैसा होता है, खासकर तेजी के दौर में। यहां कुछ टिप्स दिए गए हैं जो आपकी आवंटन की संभावना बढ़ा सकते हैं:1. रिटेल निवेशक कोटा समझें (Understanding Retail Investor Quota):
- हर आईपीओ में शेयरों का एक निश्चित हिस्सा (आमतौर पर कम से कम 35%) "रिटेल निवेशकों" (Retail Individual Investors - RIIs) के लिए आरक्षित होता है।
- रिटेल निवेशक कौन है? वह व्यक्ति जो एक आईपीओ में ₹2 लाख तक का आवेदन करता है। यह सीमा प्रति आईपीओ प्रति आवेदक होती है।
- इस कोटा के भीतर ही रिटेल निवेशकों के बीच आवंटन होता है। कोशिश करें कि आपका आवेदन ₹2 लाख के अंदर ही हो ताकि आप इस कोटे के लिए पात्र रहें।
2. आवंटन की संभावना बढ़ाने के तरीके (Improving Chances of Allotment):
- एक लॉट में आवेदन करें (Apply for 1 Lot): अगर आईपीओ ज्यादा ओवरसब्सक्राइब (Over-Subscribed) होने की उम्मीद है, तो सिर्फ एक लॉट (न्यूनतम निवेश) में आवेदन करना अक्सर बेहतर रणनीति होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि आवंटन प्रक्रिया में ज्यादातर आवेदकों को कम से कम एक लॉट तो मिल ही जाता है। एक बड़े आवेदन को पूरा आवंटन मिलना कम संभावित होता है।
- कम ओवरसब्सक्राइब्ड आईपीओ चुनें: जिन आईपीओ की मांग कम होती है (कम ओवरसब्सक्रिप्शन), उनमें आवंटन मिलने की संभावना ज्यादा होती है। हालांकि, यह आईपीओ की गुणवत्ता को नजरअंदाज करके नहीं किया जाना चाहिए।
- कंपनी का विवेकपूर्ण मूल्यांकन करें: अगर आईपीओ का मूल्यांकन बहुत महंगा लगे, तो उसमें कम निवेशक आवेदन कर सकते हैं, जिससे आवंटन की संभावना बढ़ सकती है। लेकिन सावधान रहें, कम मांग का कारण कंपनी की कमजोरियां भी हो सकती हैं।
3. कानूनी रूप से कई डीमैट खातों में आवेदन करें (Applying in Multiple Demat Accounts - Legally):
- यह कानूनी है: आप अपने परिवार के विभिन्न सदस्यों (जिनके पास अलग-अलग पैन कार्ड और डीमैट अकाउंट हैं) के नाम से एक ही आईपीओ में आवेदन कर सकते हैं। यह पूरी तरह कानूनी है।
- कैसे करें? अपने पति/पत्नी, बच्चों (18 वर्ष से ज्यादा), माता-पिता, भाई-बहन के डीमैट अकाउंट का उपयोग करें। हर अकाउंट में ₹2 लाख तक के रिटेल आवेदन किए जा सकते हैं।
- फायदा: इससे एक ही आईपीओ में आपके परिवार को आवंटन मिलने की कुल संभावना काफी बढ़ जाती है।
- चेतावनी: किसी एक व्यक्ति के नाम पर कई डीमैट अकाउंट खोलकर आवेदन करना गैर-कानूनी है और आवंटन रद्द हो सकता है। हर आवेदन अलग पैन और अलग बैंक खाते से होना चाहिए।
4. शुरुआती आवेदन का महत्व (Importance of Early Application):
- आवंटन का आधार किसी लॉटरी सिस्टम पर होता है। आवेदन करने का समय (पहले दिन या आखिरी दिन) आवंटन की संभावना को सीधे तौर पर प्रभावित नहीं करता।
- फिर भी, जल्दी आवेदन करना अच्छा क्यों है?
- तकनीकी गड़बड़ी से बचाव: आखिरी दिन सर्वर क्रैश या भीड़ की समस्या हो सकती है।
- समय पर ब्लॉक राशि: बैंक में राशि ब्लॉक होने में समय लग सकता है। जल्दी आवेदन देने से यह प्रक्रिया पूरी हो जाती है।
- मानसिक शांति: आवेदन पूरा हो जाने से आप तनावमुक्त रह सकते हैं।
- सलाह: आईपीओ खुलने के पहले या दूसरे दिन ही आवेदन कर दें।
10. आईपीओ निवेश के कर प्रभाव (Tax Implications of IPO Investments)
आईपीओ में निवेश से होने वाली आय पर कर लगता है। यहां हिंदी में समझिए कैसे:10.1 अल्पकालीन पूंजीगत लाभ कर (Short-Term Capital Gains Tax - STCG)
- अगर आप आईपीओ से मिले शेयरों को लिस्टिंग के 1 साल के अंदर बेचते हैं, तो मिलने वाला लाभ "अल्पकालीन पूंजीगत लाभ" (STCG) माना जाता है।
- इस लाभ पर आपकी आयकर स्लैब दर के अनुसार कर लगता है। यह कर आपकी कुल आय में जुड़ जाता है।
- उदाहरण: आपने एक शेयर ₹100 के आईपीओ प्राइस पर खरीदा। लिस्टिंग के 6 महीने बाद आपने उसे ₹150 में बेचा। ₹50 का लाभ हुआ। अगर आपकी आयकर दर 30% है, तो आपको ₹50 पर ₹15 का STCG टैक्स देना होगा।
10.2 दीर्घकालीन पूंजीगत लाभ कर (Long-Term Capital Gains Tax - LTCG)
- अगर आप आईपीओ से मिले शेयरों को लिस्टिंग के 1 साल बाद बेचते हैं, तो मिलने वाला लाभ "दीर्घकालीन पूंजीगत लाभ" (LTCG) माना जाता है।
- शेयरों से होने वाले LTCG पर ₹1 लाख प्रति वर्ष तक की छूट है। यानी एक वित्तीय वर्ष में शेयर बेचकर होने वाला LTCG अगर ₹1 लाख से कम या बराबर है, तो उस पर कोई टैक्स नहीं लगता।
- अगर एक साल से ज्यादा समय तक शेयर रखने पर 1 लाख रुपये से ज्यादा का मुनाफा होता है, तो उस पर 10% टैक्स देना होगा (इसमें महंगाई के असर की गणना नहीं की जाती)।
- उदाहरण: आपने एक शेयर ₹100 पर खरीदा। 2 साल बाद ₹200 में बेचा। ₹100 का LTCG हुआ।
- अगर इसी साल आपका कुल शेयर LTCG ₹1 लाख से कम है, तो कोई टैक्स नहीं।
- अगर इसी साल आपका कुल शेयर LTCG ₹1,20,000 है, तो ₹1,20,000 - ₹1,00,000 = ₹20,000 पर 10% यानि ₹2,000 टैक्स देना होगा।
10.3 लाभांश कर नियम (Dividend Taxation Rules)
- अगर आपको सरकारी कंपनी के शेयरों से लाभांश (Dividend) मिलता है, तो उस पर भी कर लगता है।
- कंपनी लाभांश बांटने से पहले ही लाभांश वितरण कर (Dividend Distribution Tax - DDT) नहीं काटती (पुराने नियम बदल चुके हैं)।
- अब लाभांश की राशि प्राप्तकर्ता (आप) की कुल आय में जुड़ जाती है।
- इस पर आपकी आयकर स्लैब दर के अनुसार कर लगता है।
- टीडीएस (TDS): कंपनी या डिपॉजिटरी आपको ₹5000 से ज्यादा के लाभांश पर 10% की दर से TDS काटेगी। अगर आपका पैन बैंक/डीमैट अकाउंट से लिंक नहीं है, तो TDS 20% हो सकता है।
- उदाहरण: आपको एक साल में किसी सरकारी कंपनी के शेयरों से ₹10,000 का लाभांश मिला। कंपनी ने TDS के रूप में ₹1,000 (₹10,000 का 10%) काट लिया और आपको ₹9,000 जमा किए। आपको अपनी आय रिटर्न में ₹10,000 को 'इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेज' में दिखाना होगा और अपनी टैक्स स्लैब के हिसाब से उस पर टैक्स चुकाना होगा। TDS के रूप में काटा गया ₹1000 आपको टैक्स क्रेडिट के रूप में मिल जाएगा।
सलाह: आईपीओ निवेश से पहले और बाद में कर प्रभावों को समझ लें। अपने कर सलाहकार से बात करना हमेशा अच्छा रहता है।
11. साल 2025 में सरकार द्वारा PSU शेयर बेचने का लक्ष्य(Government’s Disinvestment Targets for 2025)
11.1 सरकार द्वारा PSU शेयर बेचने की रणनीति का संक्षिप्त विवरण(Overview of Disinvestment Policy)
भारत सरकार की विनिवेश नीति का मुख्य उद्देश्य सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (PSUs) में अपनी हिस्सेदारी कम करना है। इसके पीछे कई लक्ष्य हैं:- राजस्व सृजन (Revenue Generation): विनिवेश से प्राप्त धनराशि सरकारी खजाने में जाती है, जिसका उपयोग सामाजिक योजनाओं, बुनियादी ढांचे के विकास या राजकोषीय घाटे को कम करने में किया जा सकता है।
- कॉर्पोरेट प्रशासन में सुधार (Improved Corporate Governance): सार्वजनिक सूचीबद्धता कंपनियों को बाजार अनुशासन और पारदर्शिता के दायरे में लाती है।
- आम लोगों को मौका: देश की बड़ी कंपनियों के शेयर खरीदकर हिस्सेदार बनने का अवसर।
- कंपनी का मूल्यांकन (Valuation): स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टिंग से कंपनी का सही बाजार मूल्य पता चलता है।
- पूंजी का सही उपयोग: सरकार समझती है कि कुछ उद्योगों में निजी क्षेत्र ज्यादा कारगर तरीके से काम कर सकता है।
11.2 संघ बजट 2025 में निर्धारित लक्ष्य (Targets Set in Union Budget 2025)
- फरवरी 2025 में पेश होने वाले केंद्रीय बजट में सरकार अगले वित्तीय वर्ष (2025-26) के लिए विनिवेश का लक्ष्य घोषित करेगी।
- पिछले वर्षों के लक्ष्यों को देखते हुए (जैसे FY24 का लक्ष्य ₹51,000 करोड़ था, जिसे बाद में घटाकर ₹30,000 करोड़ किया गया), FY25 का लक्ष्य भी ₹40,000 करोड़ से ₹1,00,000 करोड़ के बीच रखा जा सकता है।
- यह लक्ष्य काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगा कि 2024 के आम चुनावों के बाद किस तरह की सरकार बनती है और उसकी आर्थिक प्राथमिकताएं क्या होती हैं।
11.3 आगामी आईपीओ पर प्रभाव (Impact on Upcoming IPO)
- उच्च लक्ष्य = ज्यादा आईपीओ: अगर सरकार एक बड़ा विनिवेश लक्ष्य रखती है, तो इससे 2025 में आने वाले सरकारी आईपीओ (जैसे BCCL, CMPDI, NLC ग्रीन, Canara Robeco AMC) की संख्या और गति बढ़ने की संभावना है। कुछ और PSU सहायक कंपनियों या छोटी इकाइयों के आईपीओ भी तेजी से लाए जा सकते हैं।
- रणनीतिक विनिवेश (Strategic Disinvestment): सरकार कुछ PSUs में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने (Strategic Sale) पर भी विचार कर सकती है। हालांकि, ऐसे सौदे जटिल होते हैं और समय लेते हैं, इसलिए वे 2025 के आईपीओ कैलेंडर का हिस्सा बनने की संभावना कम है, लेकिन घोषणाएं हो सकती हैं।
- बाजार की स्थितियां महत्वपूर्ण: सरकार का लक्ष्य होने के बावजूद, आईपीओ तभी लाए जाएंगे जब शेयर बाजार की स्थितियां अनुकूल हों। तेजी का माहौल (बुल मार्केट) सरकारी आईपीओ के लिए आदर्श समय होता है।
12. पिछले सरकारी आईपीओ का प्रदर्शन (Performance of Past Government IPOs)
अतीत को देखकर भविष्य की रणनीति बनाई जा सकती है। आइए पिछले 5 वर्षों में सूचीबद्ध हुई कुछ प्रमुख सरकारी कंपनियों के आईपीओ के प्रदर्शन पर नजर डालें:12.1 पिछले 5 वर्षों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले सरकारी आईपीओ (Top Performing Government IPOs in the Last 5 Years)
1. इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड (IRCON International Ltd.) - लिस्टिंग: 2018- आईपीओ प्राइस: ₹475
- वर्तमान मूल्य (अगस्त 2025 के अनुमान के अनुसार): ₹300 - ₹350 (बाजार स्थितियों पर निर्भर)
- लिस्टिंग गेन: लिस्टिंग दिन अच्छा प्रदर्शन, लेकिन दीर्घावधि में उतार-चड़ाव।
- डिविडेंड: नियमित रूप से लाभांश देती है।
- कारण: रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में मजबूत स्थिति, सरकारी ऑर्डर।
- आईपीओ प्राइस: ₹19
- वर्तमान मूल्य (अगस्त 2025 अनुमान): ₹400+ (इसमें भारी उछाल देखा गया है)
- लिस्टिंग गेन स्टॉक का बाजार सफर: लिस्टिंग के शुरुआती दिनों में धीमी गति से बढ़त, 023-24 के दौरान अप्रत्याशित रूप से भारी तेजी।
- डिविडेंड: कम डिविडेंड यील्ड।
- मुख्य वजह: सरकार ने रेलवे के विकास पर खूब पैसा लगाया, कंपनी को नए काम मिले, और छोटे निवेशकों ने इसे खूब पसंद किया।
- आईपीओ प्राइस: ₹320
- वर्तमान मूल्य (अगस्त 2025 अनुमान): ₹1000+ (उच्च उतार-चढ़ाव के बावजूद मजबूत)
- लिस्टिंग गेन: जबरदस्त लिस्टिंग गेन और बाद में लगातार वृद्धि।
- डिविडेंड: नियमित और उदार लाभांश।
- कारण: रेलवे टिकट बुकिंग पर एकाधिकार, पर्यटन और केटरिंग व्यवसाय में विविधता, मजबूत कैश फ्लो।
- आईपीओ प्राइस: ₹949
- वर्तमान मूल्य (अगस्त 2025 अनुमान): ₹800 - ₹950 (लिस्टिंग के बाद से संघर्ष कर रहा है)
- लिस्टिंग गेन: शेयर बाजार में पहले दिन का हाल: लिस्टिंग के दिन ही भारी गिरावट, और आईपीओ मूल्य से भी नीचे बना रहा।
- डिविडेंड: अच्छा लाभांश देता है।
- कारण: बहुत बड़े आकार के कारण तेजी लाने में कठिनाई, प्रतिस्पर्धा बढ़ना, वैल्यूएशन चिंताएं।
12.2 निराशाजनक प्रदर्शन वाले सरकारी आईपीओ - सीखे गए सबक (Underperforming Government IPOs – Lessons Learned)
1. भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC): देश का सबसे बड़ा IPO होने के बावजूद, निवेशकों को मिला निराशाजनक परिणाम।सबक:- आकार की चुनौती: बहुत बड़े आकार के आईपीओ में तुरंत तेजी लाना मुश्किल होता है।
- वैल्यूएशन पर सावधानी: आईपीओ प्राइस कंपनी के भविष्य की विकास संभावनाओं के अनुरूप होना चाहिए।
- उद्योग की गतिशीलता: बीमा क्षेत्र में बढ़ती प्रतिस्पर्धा का असर।
- सबक: कमजोर मौलिक सिद्धांतों (Fundamentals) वाली कंपनियों में निवेश से बचें, चाहे वे सरकारी ही क्यों न हों।
12.3 सरकारी आईपीओ में औसत सूचीकरण लाभ (Average Listing Gains in Government IPOs)
- सरकारी आईपीओ में लिस्टिंग गेन का रिकॉर्ड मिश्रित रहा है। कुछ (जैसे IRCTC, RVNL) ने शानदार लिस्टिंग गेन दिए, जबकि अन्य (जैसे LIC) ने नुकसान दर्ज किया।
- ऐतिहासिक रूप से, सरकारी आईपीओ निजी आईपीओ की तुलना में ज्यादा स्थिर लेकिन कम विस्फोटक लिस्टिंग गेन दर्शाते हैं।
- औसतन, अगर बाजार का माहौल अच्छा है, तो 10-20% लिस्टिंग गेन की उम्मीद की जा सकती है। लेकिन यह किसी भी तरह से गारंटीड नहीं है और कंपनी तथा बाजार स्थितियों पर निर्भर करता है।
- दीर्घकालिक नजरिया: सरकारी आईपीओ अक्सर लिस्टिंग गेन से ज्यादा, लाभांश और स्थिर दीर्घकालिक वृद्धि के लिए जाने जाते हैं।
13. 2025 के आने वाले मेगा आईपीओ (Upcoming Mega IPOs in 2025)
2025 में कुछ ऐसे बड़े आईपीओ आने की संभावना है जो न सिर्फ सरकारी बल्कि निजी क्षेत्र से भी हैं और बाजार पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं:13.1 सार्वजनिक होने जा रही बड़ी सरकारी कंपनियां (Large-Cap Government Companies Going Public)
- इस लेख में शामिल प्रमुख सरकारी आईपीओ (NLC ग्रीन एनर्जी, BCCL, CMPDI, Canara Robeco AMC) अपने-अपने क्षेत्रों में महत्वपूर्ण हैं, लेकिन वर्तमान में किसी विशेष रूप से "मेगा" सरकारी आईपीओ (LIC जैसे आकार के) की पुष्टि 2025 के लिए नहीं है। हालांकि, Canara Robeco AMC का आईपीओ मध्यम से बड़े आकार का हो सकता है।
- सरकार IDBI बैंक में अपनी शेष हिस्सेदारी की बिक्री (Strategic Disinvestment) पर काम कर रही है, लेकिन यह प्रक्रिया जटिल है और 2025 में पूरा होना अनिश्चित है। अगर होता है, तो यह एक बड़ी घटना होगी।
13.2 देखने योग्य बहु-अरब डॉलर के आईपीओ (Multi-Billion Dollar IPOs to Watch)
- टाटा कैपिटल - टाटा समूह का वित्तीय सर्विस ब्रांच: व्यक्तिगत कर्ज, घर खरीद ऋण, निवेश प्रबंधन और बीमा सेवाएं प्रदान करता है। 2025 के सबसे बड़े शेयर निर्गमों में शुमार हो सकता है। अनुमानित मूल्य: 16 से 32 हजार करोड़ रुपये (2-4 अरब डॉलर), यह एक गैर-सरकारी कंपनी द्वारा जारी किया जाने वाला शेयर मुद्दा है
- राष्ट्रीय प्रतिभूति डिपॉजिटरी (NSDL) - भारत की प्रमुख शेयर रखरखाव संस्था: शेयरों को डिजिटल तरीके से संभालने वाली देश की सबसे बड़ी संस्था। इसका आईपीओ बाजार व्यवस्था के लिए अहम होगा। संभावित आकार: 3,000 से 5,000 करोड़ रुपये। प्रमुख शेयरधारक: आईडीबीआई बैंक, एनएसई, यूटीआई जैसी संस्थाएं।
- एथर एनर्जी (Ather Energy): भारत के अग्रणी इलेक्ट्रिक स्कूटर निर्माताओं में से एक। इलेक्ट्रिक वाहन (EV) क्षेत्र में बढ़ती दिलचस्पी के कारण इसका आईपीओ काफी चर्चित हो सकता है (अनुमानित आकार: ₹5000-₹7000 करोड़)। यह निजी क्षेत्र का आईपीओ है।
13.3 रणनीतिक पीएसयू विनिवेश (Strategic PSU Divestments)
- जैसा कि ऊपर बताया गया, IDBI बैंक में सरकार और LIC की शेष हिस्सेदारी की बिक्री (Strategic Disinvestment) एक बड़ी घटना होगी, लेकिन इसके 2025 में पूरा होने की संभावना कम है।
- सरकार कई अन्य सार्वजनिक उपक्रमों में भी अपनी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी में है, जैसे: BEML (भारत अर्थ मूवर्स), SCI (शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया), CONCOR (कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया), हालांकि, ये सभी सौदे काफी पेचीदा हैं और इनके पूरा होने का सही समय अभी तय नहीं हो पाया है। ये आईपीओ के बजाय प्रमोटरों को सीधे हिस्सेदारी बेचने के सौदे होते हैं, जो बाद में कंपनी को सार्वजनिक बनाने की ओर ले जा सकते हैं।
इन मेगा आईपीओ पर नजर क्यों रखें?
- बाजार पर प्रभाव: इनके आने से बाजार में तरलता (Liquidity) कम हो सकती है क्योंकि निवेशक इनमें पैसा लगाते हैं।
- सेक्टरल ट्रेंड: ये आईपीओ वित्तीय सेवाओं (टाटा कैपिटल), बाजार बुनियादी ढांचे (NSDL) और ग्रीन टेक्नोलॉजी (Ather) जैसे क्षेत्रों में निवेशकों के उत्साह को दर्शाते हैं।
- सेंटीमेंट बैरोमीटर: इन बड़े आईपीओ की सफलता या विफलता समग्र बाजार के मूड और निवेशकों के जोखिम लेने की इच्छा का संकेत देती है।
14. क्षेत्रीय निवेशक रुचि (Regional Investor Interest)
14.1 हिंदी भाषी राज्यों में सरकारी आईपीओ की लोकप्रियता (Government IPO Popularity in Hindi-Speaking States)
उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, झारखंड जैसे हिंदी भाषी राज्यों में सरकारी आईपीओ में निवेश का एक मजबूत रुझान देखा गया है। इसके कारण:- विश्वास का कारक (Trust Factor): सरकारी संस्थानों में गहरा विश्वास। सरकारी बैंकों और कंपनियों से लंबे समय से जुड़ाव।
- स्थिरता की इच्छा (Desire for Stability): निवेश में जोखिम से बचाव का रुझान। सरकारी आईपीओ को सुरक्षित माना जाता है।
- लाभांश आय (Dividend Income): नियमित आय के स्रोत के रूप में लाभांश का आकर्षण, खासकर छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में।
- देशभक्ति भावना (Patriotic Sentiment): देश की प्रगति में हिस्सेदारी की भावना।
- बैंकिंग पहुंच: इन राज्यों में सरकारी बैंकों की व्यापक शाखा नेटवर्क के माध्यम से एएसबीए आवेदन करना आसान है।
14.2 शहरी बनाम ग्रामीण निवेश रुझान (Urban vs Rural Investment Trends)
1. शहरी क्षेत्र:- जागरूकता ज्यादा: शेयर बाजार, आईपीओ के बारे में जानकारी ज्यादा आसानी से उपलब्ध।
- डिजिटल अपनाना: ऑनलाइन ब्रोकर ऐप्स के माध्यम से आवेदन करना प्रमुख तरीका।
- विविध पोर्टफोलियो: सरकारी आईपीओ के साथ-साथ निजी आईपीओ, म्यूचुअल फंड, डायरेक्ट इक्विटी में भी निवेश।
- लिस्टिंग गेन पर फोकस: कम समय में मुनाफा कमाने की इच्छा ज्यादा।
- पारंपरिक चैनल: बैंक शाखाओं या स्थानीय एजेंटों के माध्यम से ऑफलाइन आवेदन ज्यादा प्रचलित।
- सरकारी पर जोर: विश्वास के कारण सरकारी आईपीओ और PSU शेयरों में निवेश प्राथमिकता।
- लंबी अवधि और लाभांश: दीर्घकालिक होल्डिंग और लाभांश आय पर ज्यादा ध्यान।
- जागरूकता की कमी: निवेश के अन्य विकल्पों (जैसे म्यूचुअल फंड) के बारे में कम जानकारी।
14.3 आईपीओ जागरूकता में सोशल मीडिया की भूमिका (Role of Social Media in IPO Awareness)
सोशल मीडिया ने हिंदी भाषी क्षेत्रों सहित पूरे भारत में आईपीओ जागरूकता फैलाने में क्रांति ला दी है:- यूट्यूब (YouTube): हिंदी में शेयर बाजार, आईपीओ एनालिसिस, आवेदन प्रक्रिया पर केंद्रित चैनलों (जैसे "Labour Law Advisor Hindi", "CA Rachana Ranade Hindi", "P R Sundar Hindi") का तेजी से बढ़ना। ये चैनल जटिल विषयों को सरल हिंदी में समझाते हैं।
- व्हाट्सएप (WhatsApp): शेयर बाजार समूह, न्यूज़लेटर्स और फॉरवर्ड किए गए संदेशों के माध्यम से आईपीओ अपडेट, ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) और आवेदन टिप्स का तेजी से प्रसार।
- ट्विटर (X) और टेलीग्राम (Telegram): रीयल-टाइम न्यूज, विश्लेषक राय और चर्चाओं के लिए उपयोगी।
- इंस्टाग्राम/फेसबुक (Instagram/Facebook): इन्फोग्राफिक्स, शॉर्ट वीडियो के माध्यम से आईपीओ जानकारी पहुंचाना।
- प्रभाव:
- जागरूकता बढ़ाना: छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में पहुंच।
- शिक्षा: निवेश की बुनियादी बातों और आईपीओ प्रक्रिया को समझने में मदद।
- फीवर बनाना: जोरदार मार्केटिंग और चर्चा से कुछ आईपीओ के प्रति उत्साह बढ़ाना।
- जोखिम: गलत सलाह या अफवाहें फैलने का खतरा। निवेशकों को विश्वसनीय स्रोतों से जानकारी लेनी चाहिए।
15. भारतीय सरकारी आईपीओ में वैश्विक निवेशकों की रुचि (Global Investors’ Interest in Indian Government IPOs)
विदेशी निवेशक (Foreign Institutional Investors - FIIs / Foreign Portfolio Investors - FPIs) भारतीय शेयर बाजार के प्रमुख खिलाड़ी हैं और सरकारी आईपीओ में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है:15.1 एफआईआई और एफपीआई भागीदारी के रुझान (FII and FPI Participation Trends)
- क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) कोटा: हर आईपीओ में शेयरों का एक बड़ा हिस्सा (आमतौर पर 50%) संस्थागत निवेशकों के लिए आरक्षित होता है, जिसमें FIIs/FPIs भी शामिल हैं।
- रुचि के स्तर: FII/FPI रुचि कई कारकों पर निर्भर करती है:
- भारत की वृद्धि कहानी (India Growth Story): भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि दर FIIs को आकर्षित करती है।
- विदेशी निवेशकों का रुझान: जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में निवेशक जोखिम उठाने को तैयार होते हैं, तो वे भारत समेत विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में पूंजी लगाते हैं।
- ब्याज दरें (Interest Rates): अमेरिका और अन्य विकसित देशों में कम ब्याज दरें भारत में निवेश को आकर्षक बनाती हैं।
- रुपए का स्थिरता (Rupee Stability): रुपए की विनिमय दर में स्थिरता FIIs को आश्वस्त करती है।
- विशिष्ट कंपनी/क्षेत्र: कंपनी की ताकत और उसके क्षेत्र की संभावनाएं।
- सरकारी आईपीओ में रुचि: FIIs सरकारी आईपीओ में आमतौर पर तभी बड़ी रुचि दिखाते हैं जब:
- कंपनी बहुत बड़ी और महत्वपूर्ण हो (जैसे LIC)।
- क्षेत्र में उच्च वृद्धि की संभावना हो (जैसे नवीकरणीय ऊर्जा - NLC ग्रीन)।
- वैल्यूएशन आकर्षक लगे।
- सरकारी विनिवेश नीति में स्पष्टता हो।
15.2 भारतीय पीएसयू के प्रति वैश्विक बाजार का मिजाज (Global Market Sentiment towards Indian PSUs)
- ऐतिहासिक पूर्वाग्रह (Historical Bias): वैश्विक निवेशकों को भारतीय PSUs के प्रति कुछ हद तक संदेह रहा है, जिसे अक्सर नौकरशाही, कम कार्यकुशलता और राजनीतिक हस्तक्षेप के डर से जोड़ा जाता है।
- बदलती धारणा (Changing Perception): हाल के वर्षों में, कई PSUs (खासकर रेलवे, रक्षा और पावर सेक्टर) के शेयरों ने शानदार रिटर्न दिया है, जिससे वैश्विक धारणा बदलने लगी है।
- मुख्य चिंताएँ:
- कॉर्पोरेट प्रशासन (Corporate Governance): स्वतंत्रता और निर्णय लेने की प्रक्रिया।
- राजनीतिक हस्तक्षेप (Political Interference): व्यावसायिक फैसलों पर प्रभाव।
- पारिश्रमिक (Remuneration): प्रतिभा को आकर्षित करने और रखने की क्षमता।
- वैल्यूएशन (Valuation): क्या मूल्यांकन कंपनी की विकास संभावनाओं को दर्शाता है?
15.3 विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने वाले रणनीतिक क्षेत्र (Strategic Sectors Attracting Foreign Investors)
- हरित ऊर्जा (Green Energy): भारत के विशाल नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों (500 गीगावाट तक) के कारण यह क्षेत्र FIIs के लिए सबसे आकर्षक है। NLC ग्रीन एनर्जी जैसे आईपीओ पर मजबूत FII मांग की संभावना है।
- बुनियादी ढांचा (Infrastructure): सड़क, रेलवे, बंदरगाह और लॉजिस्टिक्स में भारी सरकारी निवेश FIIs को लुभाता है।
- रक्षा एवं विनिर्माण (Defence & Manufacturing): 'आत्मनिर्भर भारत' पहल और सैन्य आधुनिकीकरण के तहत विनिर्माण को बढ़ावा देने वाले क्षेत्रों में रुचि।
- वित्तीय सेवाएं (Financial Services): भारत के अंडर-बैंक्ड बाजार और डिजिटल लेनदेन में तेजी के कारण। Canara Robeco AMC जैसी एसेट मैनेजमेंट कंपनियां भी FII ध्यान खींच सकती हैं।
16. प्रमुख तिथियाँ और आईपीओ कैलेंडर (अगस्त - दिसंबर 2025) (Key Dates and IPO Calendar (Aug–Dec 2025))
(नोट: यह एक अनुमानित कैलेंडर है। SEBI की मंजूरी और बाजार स्थितियों के आधार पर तिथियों में बदलाव हो सकता है। नए आईपीओ जोड़े जा सकते हैं।)कंपनी का नाम | व्यवसाय क्षेत्र | IPO बिक्री शुरू होने की संभावित तिथि | IPO बिक्री समाप्ति की संभावित तिथि | बाजार में सूचीबद्ध होने की अनुमानित तिथि | प्रमोटर शेयरों पर रोक की अवधि |
---|---|---|---|---|---|
भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (BCCL) | खनन (Mining - Coal) | अक्टूबर 2025 के अंतिम सप्ताह | नवंबर 2025 के पहले सप्ताह | नवंबर 2025 के अंतिम सप्ताह | 3 साल (सरकारी शेयर) |
सेंट्रल माइन प्लानिंग (CMPDI) | खनन परामर्श (Mining Consultancy) | नवंबर 2025 के दूसरा सप्ताह | नवंबर 2025 के अंतिम सप्ताह | दिसंबर 2025 के दूसरा सप्ताह | 3 साल (सरकारी शेयर) |
NLC इंडिया ग्रीन एनर्जी लिमिटेड | नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) | नवंबर 2025 के अंतिम सप्ताह | दिसंबर 2025 के पहले सप्ताह | दिसंबर 2025 के अंतिम सप्ताह | 3 साल (NLC इंडिया के शेयर) |
केनरा रोबेको एएमसी (Canara Robeco) | वित्तीय सेवाएं (Asset Management) | दिसंबर 2025 के दूसरा सप्ताह | दिसंबर 2025 के अंतिम सप्ताह | जनवरी 2026 के पहले सप्ताह | 3 साल (केनरा बैंक के शेयर) |
एनएसडीएल (NSDL) | वित्तीय बुनियादी ढांचा (Financial Infra) | अगस्त 2025 (यदि जून में नहीं आया तो) | अगस्त 2025 | सितंबर 2025 | 3 साल (प्रमोटर शेयर) |
टाटा समूह की वित्तीय शाखा | क्षेत्र: गैर-बैंकिंग वित्त | साल 2025 के तीसरी तिमाही की शुरुआत में (अगस्त-सितंबर) | साल 2025 के तीसरी तिमाही की शुरुआत में (अगस्त-सितंबर) | साल 2025 के आखिरी तिमाही की शुरुआत में | 36 महीने तक टाटा समूह अपने शेयर नहीं बेच पाएगा |
एथर एनर्जी (Ather Energy) | इलेक्ट्रिक वाहन (EV) | अगस्त 2025 (यदि जुलाई में नहीं आया तो) | अगस्त 2025 | सितंबर 2025 | 3 साल (प्रमोटर/PE शेयर) |
महत्वपूर्ण घोषणाएं (Key Announcements):
- डीआरएचपी फाइलिंग (DRHP Filing): आईपीओ खुलने से कई हफ्ते या महीने पहले, कंपनी SEBI के साथ ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) दर्ज करती है। इसमें कंपनी का विस्तृत विवरण होता है। इनकी निगरानी करें।
- आरएचपी फाइलिंग (RHP Filing): SEBI की मंजूरी के बाद, कंपनी अंतिम प्रॉस्पेक्टस (RHP) दर्ज करती है, जिसमें आईपीओ कीमत बैंड और तिथियां शामिल होती हैं। यह आईपीओ खुलने से ठीक पहले आता है।
- एंकर निवेशक (Anchor Investors): आईपीओ खुलने से एक दिन पहले, कंपनी बड़े संस्थागत निवेशकों (एंकर इन्वेस्टर्स) को शेयर आवंटित करती है। इससे बाजार में विश्वास का संकेत मिलता है और एंकर प्राइस मार्केट सेंटीमेंट का संकेत देता है।
- शेयर बाजार की आधिकारिक वेबसाइटों पर आने वाले आईपीओ की जानकारी: एनएसई (nseindia.com) - 'आगामी आईपीओ' अनुभाग, बीएसई की आधिकारिक साइट (bseindia.com) में 'आने वाले नए IPO का अनुभाग।
- सेबी वेबसाइट: sebi.gov.in
- विश्वसनीय वित्तीय समाचार पोर्टल: Moneycontrol, Economic Times, Business Standard (Hindi/English)
- ब्रोकर ऐप्स: ग्रो, एंजेल वन, ज़ेरोधा, उपस्टॉक्स आदि।
17. हिंदी निवेशकों के लिए विशेषज्ञ टिप्स (Expert Tips for Hindi Investors)
2025 के सरकारी आईपीओ में निवेश करते समय इन विशेषज्ञ सलाहों को ध्यान में रखें:17.1 हिंदी में आईपीओ प्रॉस्पेक्टस कैसे पढ़ें (Reading IPO Prospectus in Hindi)
- प्रॉस्पेक्टस क्या है? यह कंपनी द्वारा जारी किया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जिसमें कंपनी के व्यवसाय, वित्तीय स्थिति, जोखिम कारकों और आईपीओ विवरण की पूरी जानकारी होती है। इसे आरएचपी (RHP - Red Herring Prospectus) भी कहते हैं।
- हिंदी में उपलब्धता: ज्यादातर बड़े आईपीओ (खासकर सरकारी) का प्रॉस्पेक्टस हिंदी और अंग्रेजी दोनों में उपलब्ध होता है। आप इसे:
- कंपनी की वेबसाइट पर (Investor Relations सेक्शन में)
- स्टॉक एक्सचेंजों (NSE/BSE) की वेबसाइट पर
- ब्रोकर ऐप्स पर
- सेबी वेबसाइट पर ढूंढ सकते हैं।
- क्या देखें? (हिंदी प्रॉस्पेक्टस में जांचें):
- "जोखिम कारक" (Risk Factors): यह सेक्शन बहुत महत्वपूर्ण है। कंपनी स्वयं किन जोखिमों को स्वीकार करती है? (जैसे क्षेत्र विशिष्ट जोखिम, कर्ज, प्रतिस्पर्धा)।
- "व्यापार का विवरण" (Business Description): कंपनी क्या करती है? उसकी मुख्य उत्पाद/सेवाएं क्या हैं? उसकी बाजार में स्थिति क्या है?
- "वित्तीय सूचना" (Financial Information): पिछले 3-5 साल का राजस्व (Revenue), लाभ (Profit), कर्ज (Debt) देखें। क्या प्रदर्शन स्थिर या सुधर रहा है?
- "आईपीओ विवरण" (IPO Details): कीमत बैंड, आईपीओ का आकार, शेयरों का उपयोग (कहां खर्च होगा पैसा?)।
- "प्रवर्तक और प्रबंधन" (Promoters & Management): सरकारी आईपीओ में प्रमोटर भारत सरकार होती है। प्रबंधन टीम के अनुभव पर नजर डालें।
- "प्रतिस्पर्धा" (Competition): कंपनी के मुख्य प्रतिद्वंद्वी कौन हैं?
17.2 अनौपचारिक बाजार में शेयरों की कीमत (Grey Market Premium - GMP) को समझें(Understanding Grey Market Premium - GMP)
- जीएमपी क्या है? यह एक अनौपचारिक बाजार है जहां आईपीओ लिस्टिंग से पहले ही उसके शेयरों की खरीद-बिक्री होती है। जीएमपी वह कीमत है जो लोग लिस्टिंग के बाद के शेयर की कीमत से ऊपर (प्रीमियम) या नीचे (डिस्काउंट) चुकाने को तैयार होते हैं।
- उदाहरण: अगर आईपीओ प्राइस बैंड ₹100-₹110 है और जीएमपी ₹20 है, तो माना जाता है कि शेयर लिस्टिंग के दिन लगभग ₹130 (₹110 + ₹20) पर खुलेगा।
- सीमाएं और जोखिम:
- अनौपचारिक और अवैध: जीएमपी बाजार कोई कानूनी मान्यता नहीं है। यहां लेनदेन का कोई कानूनी बचाव नहीं है।
- अविश्वसनीय: जीएमपी अफवाहों, हेराफेरी और अटकलों से प्रभावित हो सकता है। यह लिस्टिंग वास्तविक प्रदर्शन का सटीक संकेत नहीं है।
- अति उत्साह/निराशा: कई बार जीएमपी वास्तविकता से कहीं ज्यादा ऊंचा या नीचे चल रहा होता है।
17.3 सामान्य आईपीओ निवेश गलतियों से बचें (Avoiding Common IPO Investment Mistakes)
- केवल लिस्टिंग गेन के लिए निवेश करना: सिर्फ कुछ दिनों में मुनाफा कमाने के लालच में आईपीओ में निवेश करना जोखिम भरा है। लिस्टिंग गेन गारंटीड नहीं होता। कंपनी के दीर्घकालिक मूल्य पर फोकस करें।
- बिना जाँच-परख के पैसा लगाना: सिर्फ कंपनी के नाम या दोस्तों के कहने पर शेयर खरीद लेना। आईपीओ में निवेश से पहले कंपनी का दस्तावेज (प्रॉस्पेक्टस) अच्छी तरह पढ़ें, उसके वित्तीय हालात समझें और उस कारोबार के बारे में जानकारी हासिल करें।
- ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) पर अंधा विश्वास करना: जैसा ऊपर बताया गया, GMP अविश्वसनीय हो सकता है। इसे निर्णय का एकमात्र आधार न बनाएं।
- अपनी जोखिम क्षमता से ज्यादा निवेश करना: आईपीओ में पैसा लगाने से पहले अपनी वित्तीय स्थिति, जोखिम लेने की क्षमता और निवेश लक्ष्यों को समझें। सारा पैसा किसी एक आईपीओ में न लगाएं।
- आईपीओ आवंटन के लिए कर्ज लेना: आवंटन मिलने की अनिश्चितता के कारण कर्ज लेकर आईपीओ में आवेदन करना बहुत जोखिम भरा कदम है।
- लिस्टिंग के तुरंत बाद भावनात्मक निर्णय लेना: अगर लिस्टिंग गेन मिलता है तो लालच में आकर ज्यादा देर तक न रुकें या अगर नुकसान होता है तो घबराकर तुरंत न बेचें। एक रणनीति बनाकर चलें।
18. आईपीओ निवेशकों के लिए जरूरी मददगार संसाधन(Tools & Resources for IPO Investors)
2025 के सरकारी और निजी आईपीओ पर अपडेट रहने और सूचित निर्णय लेने के लिए ये उपयोगी टूल और हिंदी संसाधन:18.1 आईपीओ ट्रैकिंग वेबसाइट (Upcoming Government IPOs in India 2025 Hindi)
- Chittorgarh.com: आगामी और चल रहे आईपीओ की सबसे व्यापक सूची, DRHP/RHP लिंक, जीएमपी, आवंटन स्थिति, लिस्टिंग डिटेल। (हिंदी में भी कुछ सामग्री)।
- आईपीओ वॉच (IPO Watch - BSE): बीएसई की आधिकारिक आईपीओ ट्रैकिंग सेक्शन। तिथियां, प्रॉस्पेक्टस, आवेदन फॉर्म।
- एनएसई प्लेटफॉर्म पर नवीनतम शेयर प्रस्तावों की जानकारी (nseindia.com) - यहाँ भी आपको बीएसई की तरह ही आगामी निवेश अवसरों की सूची मिलेगी
- मनीकंट्रोल (Moneycontrol.com): आईपीओ सेक्शन में समाचार, विश्लेषण, सूचियां, तिथियां, जीएमपी।
- इकोनॉमिक टाइम्स (Economictimes.com): व्यापक कवरेज, विशेषज्ञ राय।
18.2 हिंदी में शेयर बाजार की जानकारी देने वाले डिजिटल स्रोत(Hindi IPO Blogs and YouTube Channels)
यूट्यूब चैनल: Upcoming Government IPOs in India 2025 Hindi- CA Rachana Ranade (Hindi Playlist): आईपीओ, निवेश की बुनियादी बातों पर सरल व्याख्यान।
- Labour Law Advisor (Hindi): व्यावहारिक वित्तीय सलाह, आईपीओ समीक्षा (कभी-कभी)।
- P R Sundar Hindi: बाजार विश्लेषण, आईपीओ सलाह।
- मुकुल अग्रवाल का हिंदी चैनल - कंपनियों के वास्तविक मूल्य पर निवेश सलाह और नए शेयर मुद्दों की गहन समीक्षा
- श्रेयस ट्रांडिंग (Shreyas Trading - Hindi): (सावधानी से देखें - ट्रेडिंग फोकस्ड)।
- moneycontrol.com): वित्तीय शिक्षा, आईपीओ समाचार हिंदी में।
- कुबेर मंत्र (Kuber Mantra - Hindi Section): निवेश युक्तियाँ, बाजार अपडेट।
- फाइनेंशियल एक्सप्रेस हिंदी - कारोबारी खबरों और नए शेयरों की पेशकश पर विस्तृत रिपोर्टिंग बिजनेस
- स्टैंडर्ड हिंदी (Business Standard Hindi): व्यापक वित्तीय समाचार।
18.3 सरकारी निजीकरण (डाइवेस्टमेंट) पोर्टल
सरकारी IPO या डाइवेस्टमेंट से जुड़ी आधिकारिक जानकारी के लिए मुख्यतः केंद्र सरकार का DIPAM (वित्त मंत्रालय, निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग) पोर्टल उपयोगी है। इस वेबपोर्टल के 'निवेशक सहायता' खंड में सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने संबंधी सभी महत्वपूर्ण जानकारियाँ उपलब्ध हैं - नीतियाँ, प्रक्रिया विवरण और सामान्य प्रश्नोत्तर। DIPAM की वेबसाइट पर 'बिक्री लेनदेन' सेक्शन में हाल के सौदों का पूरा ब्यौरा दर्ज होता है। जैसे वित्तीय वर्ष 2025-26 में जनरल इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन (GIC) में सरकार ने 3.388% शेयर ऑफर-फॉर-सेल के जरिये बेचे, जिससे 2,345.55 करोड़ रुपये की आय हुई। इसी प्रकार SUUTI से 815 करोड़ रुपये प्राप्त हुए।सरकारी कंपनियों के शेयर मुद्दों की जानकारी के अन्य प्रमुख स्रोतों में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का PSU विशेष पोर्टल (यदि सक्रिय हो) और प्रमुख शेयर बाजारों के 'नए निवेश अवसर' खंड शामिल हैं। यहाँ आपको सभी आगामी सरकारी आईपीओ की सम्पूर्ण जानकारी - मूल्य बैंड से लेकर आवेदन प्रक्रिया तक - विस्तार से मिल जाएगी। कुल मिलाकर, निवेशक सरकारी IPO की घोषणाओं और रजिस्ट्रेशन के लिए DIPAM की वेबसाइट नियमित रूप से देख सकते हैं।
19 प्रमुख निष्कर्ष (Summary of Key Takeaways) Upcoming Government IPOs in India 2025 Hindi
- सरकार 2025-26 में अपने कुछ PSUs में हिस्सेदारी बेचने की योजना पर काम कर रही है। निजीकरण की नीतियाँ DIPAM द्वारा जारी की जाती हैं और इन पोर्टल पर नियमित अपडेट मिलते रहते हैं।
- आगामी सरकारी IPOs में बैंकिंग, बीमा, ऊर्जा और खनन क्षेत्र के बड़े उपक्रम शामिल हैं। उदाहरणस्वरूप SBI और Canara Bank की सहायक कंपनियों, NLC की नवीकरणीय ऊर्जा इकाई आदि की लिस्टिंग संभावित है
- पिछले कुछ PSU IPOs ने रिटेल निवेशकों को अच्छा रिटर्न दिया है, लेकिन बाजार की स्थितियों (जैसे वैश्विक बांड यील्ड, महंगाई) से जोखिम भी जुड़े हैं।
- खुदरा(Retail) निवेशकों के लिए सलाह दी जाती है कि IPO के DRHP/रजिस्टरेट डॉक्युमेंट ध्यान से पढ़ें और कंपनियों की फंडामेंटल्स जांचें। सरकारी पोर्टल खुद निवेश सलाह नहीं देता, अत: निवेश निर्णय में सतर्कता रखें।
19.1 प्रमुख आगामी सरकारी IPO (Best Upcoming Government IPOs to Watch)
SBI जनरल इंश्योरेंस और SBI पेमेंट सर्विसेज (SBI Subsidiaries): भारतीय स्टेट बैंक अपनी इन सहायक कंपनियों को बढ़ाकर IPO या OFS के लिए तैयार कर रहा है। SBI जनरल इंश्योरेंस ने FY2025 में ₹509 करोड़ का मुनाफा दिखाया।केनरा बैंक अपनी दो सहयोगी कंपनियों - केनरा रोबेको एएमसी (निवेश प्रबंधन) और केनरा एचएसबीसी जीवन बीमा - में अपनी हिस्सेदारी कम करने की योजना बना रहा है। बैंक प्रबंधन ने अपनी बीमा सहायक इकाई में 14.5% स्वामित्व हिस्सेदारी की बिक्री को अंतिम अनुमोदन प्रदान कर दिया है।
केनरा बैंक ने अपनी दो संयुक्त उपक्रम कंपनियों में शेयरधारिता घटाने का निर्णय लिया है:
केनरा रोबेको (म्यूचुअल फंड प्रबंधन व्यवसाय)
केनरा एचएसबीसी लाइफ इंश्योरेंस व्यवसाय में 14.5% शेयरधारिता निवेशकों को हस्तांतरित करने का प्रस्ताव अधिकृत हो चुका है।
केनरा रोबेको (म्यूचुअल फंड प्रबंधन व्यवसाय)
केनरा एचएसबीसी लाइफ इंश्योरेंस व्यवसाय में 14.5% शेयरधारिता निवेशकों को हस्तांतरित करने का प्रस्ताव अधिकृत हो चुका है।
Coal India की इकाइयाँ(Units) (CMPDIL, BCCL): कोयला इंडिया की इंटरनल कंसल्टेंसी यूनिट CMPDIL ने IPO के लिए दस्तावेज दायर कर दिए हैं। कोल इंडिया ने स्पष्ट किया है कि वर्तमान में CMPDIL और BCCL को स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया प्रगति पर है।
NLC इंडिया (Renewable Arm – NIRL): NLC इंडिया अपनी नवीकरणीय ऊर्जा इकाई NIRL के IPO की योजना बना रही है। कंपनी 2030 तक 10 GW रिन्यूएबल कैपेसिटी लक्ष्य के लिए ₹4000 करोड़ जुटाने की तैयारी में है।
अन्य संभावित आईपो: सरकार IDBI बैंक (हिस्सेदारी बेच दी गई है), NMDC Steel, शिपिंग कॉरपोरेशन, IREDA जैसे उपक्रमों पर ध्यान दे रही है। इनमें से कुछ में अगले 1-2 वर्षों में पूंजी जुटाने की घोषणाएँ हो सकती हैं।
19.2 जोखिम-इनाम विश्लेषण 2025 (Upcoming Government IPOs in India 2025 Hindi)
सरकारी कंपनियों में निवेश के फायदे: इनमें दीर्घकालिक स्थिरता का भरोसा होता है। पिछले कुछ सालों में सरकारी शेयरों ने निवेशकों को उम्दा मुनाफा दिलाया है। जैसे कि, कुछ सरकारी आईपीओ में शुरुआती निवेशकों को उनके पैसे से दो गुना या उससे ज्यादा का फायदा हुआ है।संभावित जोखिम: हालांकि सरकारी IPO बड़ी कंपनियों में होते हैं, फिर भी वे बाजार के उतार-चढ़ाव से प्रभावित होते हैं। वैश्विक आर्थिक स्थिति, अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में इजाफा, महंगाई और ब्याज दरों की चढ़ाव जैसी स्थितियाँ शेयर मार्केट को दबाव में ला सकती हैं। इन कारकों से IPO की कीमत पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। इसके अलावा कोई महामारी या आर्थिक मंदी भी IPO को प्रभावित कर सकती है।
19.3 खुदरा(retail) निवेशकों के लिए अंतिम विचार (Final Thoughts for Retail Investors)
सरकारी IPO में निवेश करने से पहले कंपनी की वित्तीय स्थिति, विकास योजनाएँ और प्राइस बैंड पर ध्यान दें। चूंकि सरकारी संस्थाएँ जन-हित के उद्देश्य वाली होती हैं, इसलिए उन्हें लंबे समय में स्थिर माना जाता है, परन्तु किसी भी IPO की तरह जोखिम शून्य नहीं होता। निवेश से पहले DIPAM की चेतावनी को ध्यान में रखें कि वह व्यक्तिगत निवेश सलाह नहीं देता। अतः खुद रिसर्च कर फैसले लें और जरूरत हो तो वित्तीय सलाहकार से मार्गदर्शन लें।20. अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs – Upcoming Government IPOs in India 2025 Hindi)
1. न्यूनतम निवेश क्या होता है सरकारी IPO में?सरकारी IPO में न्यूनतम निवेश उस IPO की तय लॉट साइज पर निर्भर करता है। यानी आपको न्यूनतम एक लॉट (जैसे 50 या 100 शेयर) के हिसाब से आवेदन करना होगा। उदाहरण के लिए, यदि लॉट साइज 50 शेयर और प्रति शेयर कीमत ₹100 तय है, तो न्यूनतम निवेश ₹5,000 होगा।
2.क्या सरकारी आईपीओ, प्राइवेट आईपीओ के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित माने जाते हैं?
सरकारी IPO बड़ी, स्थापित PSU कंपनियों के होते हैं जिनमें सरकार की हिस्सेदारी रहती है, इसलिए इन्हें कुछ हद तक सुरक्षित माना जाता है। फिर भी ये सीधे-सीधे बाजार के उतार-चढ़ाव से प्रभावित होते हैं। इसलिए सुरक्षा तभी होगी जब कंपनी के आधार मजबूत हों और मार्केट स्थिति अनुकूल हो। आमतौर पर सरकारी IPO का उद्देश्य रणनीतिक विकास का होता है, लेकिन इसमें भी निवेश जोखिम रहता है।
3. हिंदी निवेशक IPO अपडेट कैसे ट्रैक कर सकते हैं?
हिंदी निवेशक देश के प्रमुख हिंदी आर्थिक समाचार स्रोतों, वेबसाइट्स और चैनलों पर IPO की जानकारी ले सकते हैं। उदाहरण के लिए, Moneycontrol हिंदी, इकनॉमिक टाइम्स (हिंदी), ज़ी बिज़नेस, बिज़नेस स्टैंडर्ड हिंदी जैसी साइट्स पर IPO समाचार हिंदी में उपलब्ध रहते हैं। इसके अलावा सरकारी पोर्टल जैसे DIPAM की हिंदी वेबसाइट (निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग) और विभागीय प्रेस रिलीज़ को भी फॉलो किया जा सकता है।
4. 2025 में कौन-से सेक्टर (उद्योग) में सबसे ज्यादा सरकारी आईपीओ आने की संभावना है?
2025 में सबसे ज्यादा सरकारी IPO संभावित रूप से बैंकिंग/वित्तीय सेवाएँ (जैसे SBI, Canara Bank की सहायक कंपनियाँ), ऊर्जा/नवीकरणीय ऊर्जा (NLC, IREDA जैसी संस्थाएँ), खनन और उर्जा (कोयला इंडिया की इकाइयाँ)(Units), तथा बुनियादी संरचना (जैसे शिपिंग कॉरपोरेशन) क्षेत्रों से जुड़ी हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, कोयला इंडिया की दो यूनिट्स (CMPDIL, BCCL) IPO के चरण में हैं, और सरकार IDBI बैंक, NMDC Steel, शिपिंग कारपोरेशन, IREDA जैसी कंपनियों की हिस्सेदारी में कार्य कर रही है।
5. क्या NRI भारतीय सरकारी IPO में निवेश कर सकते हैं?
हां, NRIs (विदेश में रहने वाले भारतीय नागरिक), PIO और OCI भी भारतीय IPO में निवेश कर सकते हैं। बस यह ध्यान रखना है कि संबंधित कंपनी ने IPO की DRHP/RHP में NRIs के लिए सब्सक्रिप्शन की अनुमति दी हो। निवेश के लिए उन्हें भारत में NRE/NRO बैंक खाता और NRI डीमैट खाता होना चाहिए। SEBI के नियमों के अनुसार NRIs ASBA द्वारा IPO में आवेदन कर सकते हैं।
धन्यवाद!